शॉकिंग: BJP नेता के सर में मारी गोली.. GF और दोस्त वाला एंगल, फिर मीडिया के दबाव में हुआ Encounter

देहरादून के मांडूवाला में बीजेपी नेता रोहित नेगी की हत्या के बाद जनाक्रोश की आग ने पुलिस को मजबूर कर दिया कि वह हरकत में आए। तीन दिन की सियासी और सामाजिक हलचल के बाद आखिरकार एसएसपी अजय सिंह ने खुद कमान संभाली और गुरुवार देर रात उत्तर प्रदेश सीमा में दोनों हत्यारोपियों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना ने न सिर्फ शहर की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ भी जनसैलाब उमड़ पड़ा।
हत्या के बाद मचा जनाक्रोश, पुलिस पर बढ़ा दबाव
मांडूवाला इलाके में हुई इस सनसनीखेज हत्या के बाद देहरादून की सड़कों पर आक्रोश का माहौल था। बीजेपी नेता रोहित नेगी की हत्या के बाद स्थानीय जनता, जनप्रतिनिधि और हिंदू संगठनों ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सहसपुर विधायक सहदेव पुंडीर ने तक चेतावनी दी कि अगर आरोपी नहीं पकड़े गए तो वे खुद जनता के साथ सड़कों पर उतर जाएंगे। इसी दबाव में पुलिस को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के पुरकाजी तक जाना पड़ा, जहां मुठभेड़ के दौरान आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
दोस्त और प्रेमिका के विवाद में हुई थी हत्या
प्राप्त जानकारी के अनुसार, गुरुवार की रात रोहित नेगी, उनका दोस्त और उसकी प्रेमिका एक निजी पार्टी में शामिल थे। इसी दौरान आरोपी अजहर त्यागी ने युवती को फोन पर धमकाना शुरू किया। अजहर की इस हरकत पर रोहित ने अपने दोस्त के साथ मिलकर उसे सबक सिखाने की ठानी। लेकिन रास्ते में अजहर ने उन पर घात लगाकर हमला कर दिया। अजहर ने रोहित की कार पर सीधे फायरिंग की, जिससे गोली शीशे को चीरती हुई रोहित के सिर में जा लगी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस की लापरवाही पर उबला जनाक्रोश
घटना के बाद यह भी सामने आया कि आरोपी अजहर त्यागी पहले से ही कई आपराधिक मामलों में लिप्त था और खुलेआम गुंडागर्दी करता फिर रहा था। बावजूद इसके, प्रेमनगर थाना पुलिस ने शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस लापरवाही से जनता का गुस्सा भड़क उठा और लोग सड़कों पर उतर आए। इसके बाद ही पुलिस ने गंभीरता दिखाई और ऑपरेशन चला कर अजहर और उसके साथी को पकड़ा।
पांच साल पुरानी दोस्ती बनी खून की वजह
सूत्रों के अनुसार अजहर त्यागी करीब पांच साल पहले देहरादून पढ़ाई करने आया था। यहीं उसकी दोस्ती मेरठ निवासी एक युवती से हुई थी, जो फिजियोथैरेपी का कोर्स कर रही थी। लेकिन अजहर की आपराधिक प्रवृत्ति और धमकियों से परेशान होकर युवती ने उससे दूरी बना ली। कुछ महीनों बाद युवती की दोस्ती रोहित के मित्र आयुष से हो गई, जिससे अजहर तिलमिला उठा और बदला लेने के लिए योजनाबद्ध ढंग से रोहित की हत्या कर दी।
मुठभेड़ में घायल हुए दोनों आरोपी
एसएसपी अजय सिंह के नेतृत्व में गुरुवार देर रात दोनों आरोपियों की घेराबंदी की गई। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में दोनों के पैर में गोली मारी, जिससे वे घायल हो गए। मुठभेड़ के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और गिरफ्तार कर लिया गया।
“सीने में गोली मारनी चाहिए थी”, रोहित की मां का दर्द
रोहित नेगी की मां सोमबाला और बहन ने पुलिस कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “पुलिस को अजहर के पैरों में नहीं, सीने में गोली मारनी चाहिए थी। जैसे उसने मेरे बेटे के सीने में गोली मारी थी, वैसे ही उसे भी भुगतना चाहिए था।” यह बयान समाज के उस दर्द को बयां करता है, जो न्याय की धीमी प्रक्रिया और अपराधियों की खुलेआम घूमती बेपरवाही से उपजा है।
पुलिस पर सवाल और प्रशासन पर दबाव
इस पूरे घटनाक्रम ने उत्तराखंड पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर समय रहते प्रेमनगर पुलिस ने अजहर पर कार्रवाई की होती तो शायद रोहित की जान बच सकती थी। यह मामला न सिर्फ एक हत्या का है, बल्कि सिस्टम की उस कमजोरी का भी, जहां एक अपराधी की धमकियों को नजरअंदाज किया गया और परिणामस्वरूप एक युवा नेता की जान चली गई।
जनदबाव और मीडिया की भूमिका
बीजेपी नेता रोहित नेगी की हत्या ने एक बार फिर साबित किया है कि जनदबाव और मीडिया की भूमिका के बिना कई बार प्रशासन हरकत में नहीं आता। यह घटना पुलिस के लिए एक चेतावनी भी है कि शिकायतों को गंभीरता से लेना और समय पर कार्रवाई करना ही लोगों के विश्वास को बनाए रख सकता है। अब देखना यह है कि आरोपी को किस धारा में सजा दिलाई जाती है और पीड़ित परिवार को न्याय कब मिलता है।