PWD कार्यालय 1.10 करोड़ में नीलाम:PWD ने कर्मचारी की मौत के बाद न तो डिपेंडेंट को दी नौकरी और न ही दिया फंड का पैसा

आदेश का पालन नहीं करने पर कोर्ट ने ऑफिस किया नीलाम

PWD कार्यालय की नीलामी की कार्रवाई करते कोर्ट के अधिकारी।

भरतपुर PWD कार्यालय को गुरुवार को 1.10 करोड़ रुपए में नीलाम किया गया। PWD के कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिवार को न तो नौकरी मिली और न ही उसके फंड के पैसे। इस मामले में ADJ कोर्ट संख्या-1 ने PWD कार्यालय की नीलामी के आदेश दिए थे। नीलामी में 3 लोगों ने भाग लिया। नीलामी की कीमत एक करोड़ रुपए से शुरू की गई। पहली बोली हरि सिंह ने एक लाख रुपए बढ़ाकर लगाई। इसके बाद शेष दोनों व्यक्तियों ने भी एक-एक लाख रुपए बढ़ाकर बोली लगानी शुरू की। बढ़ते-बढ़ते नीलामी की रकम एक करोड़ 10 लाख तक पहुंच गई।

यह है मामला

PWD में नौकरी करने वाले वीरेंद्र की मौत 31 मई 2017 को हुई थी। विभाग ने न तो वीरेंद्र के परिजनों को कोई नौकरी दी और न ही तनख्वाह में से कटने वाले फंड का पैसा दिया गया। कोई लाभ नहीं मिलने पर परिजनों ने साल 2018 में कोर्ट में PWD के खिलाफ दावा किया, जिसमें अनुकंपा नियुक्ति और फंड की मांग की गई। 7 फ़रवरी 2020 को कोर्ट ने आदेश निकाला की वीरेंद्र की पत्नी मिथलेश की पेंशन, उसके लड़के को नौकरी और फंड के पैसे पर 6 प्रतिशत ब्याज लगाकर उसके परिजनों को दिया जाए। कोर्ट के फैसले पर PWD के अधिकारियों ने कोई गौर नहीं किया। जब कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं हुआ तो वीरेंद्र के परिजनों ने 24 अगस्त 2020 को कोर्ट में इसकी शिकायत की।

कुर्की के आदेश

कोर्ट ने 18 फ़रवरी 2021 को PWD के ऑफिस की कुर्की के आदेश निकाले। इसके बाद भी PWD के अधिकारियों ने कोर्ट के फैसले का पालन नहीं किया। जुलाई 2021 में कोर्ट की तरफ से एक इश्तेहार जारी किया जिसमें आज के दिन PWD कार्यालय की नीलामी के आदेश थे। विभाग के अधिकारियों ने कोर्ट से इश्तेहार निकलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की। गुरुवार को PWD का कार्यालय नीलाम किया गया, जिसकी सबसे ज्यादा बोली कुम्हेर तहसील के रहने वाले हरि सिंह ने लगाई। इस दौरान वहां वीरेंद्र की पत्नी के साथ वीरेंद्र के परिजन मौजूद थे।

अब क्या होगा
हरि सिंह के नाम नीलामी खुलने के बाद नीलामी का फैसला कोर्ट में जाएगा। कोर्ट के अप्रूव करने पर हरि सिंह को कब्ज़ा दिया जाएगा। अगर उससे पहले विभाग की तरफ से कोर्ट में वीरेंद्र परिजनों को मिलने वाला पैसा जमा करवा दिया जाता है तो उस स्थिति में विभाग अपने कार्यालय को बचा सकता है।

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