अखिलेश यादव के सैफई में होगा चमत्कार ! सपा के गढ़ में तैयार हो रही है कोरोना वैक्सीन !

सैफई चिकित्सा विश्वविद्यालय बनेगा विश्व के लिए वरदान !

जी हां यही वो खबर है। यही वो गुड न्यूज़ है जिसे देख कर,पढ़कर ,सुनकर सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव का सीना कई गुना चौड़ा हो गया हैं। अपने शहर सैफई के चिकित्सा विश्वविद्दालय के उपलब्धि पर अखिलेश यादव फूले नही समा रहे हैं। उत्तर प्रदेश का सैफई समाजवादी पार्टी का गढ़ है ऐसे में यहां कोई भी हलचल हो तो सपाईयों की आंखे पहले खुल जाती हैं और खबर सीधे पहुंचती हैसपा सुप्रीमों अखिलेश यादव के कानों तक। ऐसे में जैसे ही उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कानों में ये खबर पड़ी कि इटावा के सैफई में स्थित सैफई चिकित्सा विश्वविधालय में बनी राज निवार्ण बूटी यानी आरएनबी कोरोना के मरीज़ों के लिए संजीवनी साबित हो रही है और सैफई पीजीआई में काम कर रहे प्रोफेसर,अनुंसधान कर रहे लोग कोरोना को मात देने के लिए सही दिशा में आगे बढ़ रहे है वैसे ही अखिलेश यादव ने पीजीआई के लोगो को न सिर्फ बधाई दी बल्कि सोशल मीडिया पर सैफई पीजीआई की उपलब्धि की तस्वीर को सांझा करते हुए ट्वीट किया।

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि ‘सैफई पीजीआई में शोधित विश्व की पहली एलोवैदिक दवा ‘RNB’ यदि कोरोना के मरीज़ो के लिए सही में सार्थक सिद्ध हो रही हैं। तो संपूर्ण जांच के बाद ICMR भी अनुमति दे क्योकि साइंटिफिक,एथिकल व कोरोना कमेटी की अनुमति तो पहले ही मिल चुकी हैं। और बधाई स्वरुप सरकार सैफई पीजीआई पर भी फूल बरसाएं ”

जी हां कोरोना पर सियासत तो एक तरफ है लेकिन इस वक्त कोरोना वायरस देश के लिए ही नही बल्कि  पूरे विश्व के लिए एक बड़ा संकट हैं। जिसके चलते अखिलेश यादव ने सैफई पीजीआई की हौसला अफज़ाई की। जिस तरह से कोरोना देश के कोने कोने में पैर पसारता जा रहा है उसके चलते न सिर्फ लोगो की चिंता बढ़ती जा रही है बल्कि सरकार के माथे पर भी बल बढ़ता जा रहा हैं। ऐसे में सैफई के पीजीआई की तैयार की गई आयुवेदिक दवा राज निवार्ण बूटी यानी आरएनबी एक उम्मीद बन कर सामने आई हैं। सैफई पीजीआई के कुलपति डॉ.राजकुमार का कहना है कि विश्वविद्यालय में भर्ती 20 मरीजों पर इस बूटी के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। इन परिणामों पर पायलट स्टडी भी की जा रही है। जल्द ही इसे देश के सामने लाया जाएगा।

ये दवा 12 आयुर्वेदिक मिश्रणों से तैयार हुई है। कोरोना मरीजों पर रिसर्च के प्रोटोकॉलस का अनुपालन कर इस दवा को  आजमाया गया है। कोरोना के मामले आने के साथ ही विश्वविद्यालय ने इसपर रिसर्च करनी शुरू कर दी थी.। रिसर्च में सबसे पहले ये देखा गया कि कोरोना शरीर के किन-किन हिस्सों पर पहले अटैक करता है। जिसकी वजह से कोविड मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। इसके बाद प्राचीन चिकित्सा की उन दवाओं को छांटा गया जो इस सिस्टम के लिए कारगर हैं। फिर इन प्राचीन दवाओं पर आधुनिक चिकित्सा में हुए शोधों का अध्ययन किया गया। साथ ही रिसर्च के लिए विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्यों की मदद भी ली गई। फिर कोविड-19 अस्पताल में भर्ती 103 मरीजों में से 20 मरीजों का चयन किया गया। जिनमें कोरोना के अधिक लक्षण थे। इथिकल क्लियरेंस लेने के बाद इन मरीजों पर रिसर्च क्लीनिकल ट्रायल डॉक्यूमेंट्री प्रूफ के साथ शुरू किया गया। जिसके नतीजे सकारात्मक आए और सभी मरीज़ पांच से सात दिन में ठीक हो गए।

राज निर्वाण बूटी की 125 मिली ग्राम मात्रा पांच मिलीग्राम शहद के साथ दी जाती है। साथ ही इस दवा को लेकर ट्रायल किए जा रहे है ऐसे में अगर  इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च इस दवा को हरी झंडी दे देता है तो समझ लेना चाहिए की भारत ने कोरोना का इलाज ढ़ूढ लिया है।

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