केरल में बढ़ता कोरोना! हर हफ्ते प्रति दस लाख की आबादी पर सबसे ज्यादा मौतें

तिरुवनंतपुरम. रोज मिलने वाले कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमितों के अलावा केरल में मौतों का आंकड़ा भी काफी ज्यादा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण भारतीय राज्य में प्रति 10 लाख लोगों में प्रति हफ्ते 24 मौतें दर्ज की गई हैं. अन्य राज्यों की तुलना में केरल में यह संख्या सबसे ज्यादा है. इसके बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) और ओडिशा (Odisha) का नाम आता है. जबकि, देश में यह औसत हर हफ्ते प्रति 10 लाख लोगों पर करीब 2 दो मौतों का है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में प्रति 10 लाख लोगों में प्रति हफ्ते 12 और ओडिशा में 9 मरीजों की मौत हो रही है. रिपोर्ट में साप्ताहिक स्तर पर कोविड पैटर्न का विश्लेषण करने वाले एक्सपर्ट डॉक्टर पद्मनाभ शिनॉय के हवाले से बताया गया है, ’15 मई को केरल का केस फैटेलिटी रेशो (CFR) 0.3% पर था, जो 31 जुलाई तक बढ़कर 0.49% हो गया. केरल देश के सबसे कम सीएफआर वाले राज्यों में बना हुआ है.’

राज्य में सात दिनों की औसत वृद्धि दर 0.61% है. जबकि, भारत के लिहाज से यह आंकड़ा 0.13% है. केरल में आर वैल्यू 1.28 पर है. बीते सोमवार को देश के राज्यों में केरल में सबसे ज्यादा मौतें हुई थीं. कुल 420 मौतों में से राज्य में 118 यानि 28% लोगों ने जान गंवाई थी. इसके बाद मंगलवार को 177 मौतों के साथ महाराष्ट्र शीर्ष पर पहुंच गया. उस दौरान केरल में 148 मरीजों की जान गई थी.

रिपोर्ट में स्वास्थ्य अर्थशास्त्री रिजो एम जॉन के हवाले लिखा गया है, ‘केरल की कोविड-19 मृत्य दर ऊपर जा रही है और यह चिंता की बात है. पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में मृत्यु दर ज्यादा थी.’ बीते कुछ दिनों से और लगभग हर रोज केरल में देश के 50% मामले मिल रहे हैं. वहीं, राष्ट्रीय स्तर के मामले में राज्य में मौतों का औसत 20% से 25% है.पीटीआई-भाषा के अनुसार, केरल गए एक केंद्रीय दल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में कोविड-19 मरीजों के संपर्क में आने वालों का पता लगाने की प्रक्रिया धीमी हो गयी है, घरों में पृथक-वास संबंधी दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है और संक्रमण का पता लगाने वाली जांच में भी कमी देखने को मिली है. रिपोर्ट में बताया गया है कि लोग कोविड उपयुक्त आचरण को लेकर अधिक बेपरवाह होते जा रहे हैं और दल ने टीकाकरण बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है.

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