सीएम केजरीवाल का बड़ा ऐलान, अब आर्थिक मदद के लिए कोरोना से मरने वालों का मृत्यु प्रमाणपत्र जरूरी नहीं

नई दिल्ली. राजधानी दिल्‍ली में कोरोना (Corona) के कारण अपने परिवार के सदस्यों को खो चुके लोगों को अब मुआवजा पाने के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र (Death Certificate) और जीवित सदस्य प्रमाणपत्रों की आवश्यकता नहीं होगी. यह आदेश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने शुक्रवार को दिया. दिल्‍ली सरकार की इस योजना का उद्देश्य उन परिवारों को कुछ वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिन्‍होंने महामारी के कारण अपनों को खोया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्‍ली में कोरोना से 25 हजार से ज्‍यादा लोगों की मौत हुई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक नागरिक ने 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि हासिल करने की प्रकिया को जटिल और बाधाओं से भरा हुआ बताते हुए शिकायत की थी कि उसे दस्तावेज ठीक कराने में ही चक्कर काटने पड़ गए. इसके बाद मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक की थी. केजरीवाल ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य उन परिवारों को कुछ वित्तीय सहायता प्रदान करना है, क्योंकि वे अपने प्रियजनों के खोने का शोक मनाते हैं. ये सभी लोग पीड़ित हैं और कागजी कार्रवाई के कारण परेशान होने की स्थिति में नहीं हैं. आवेदनों पर विचार के लिए अब मृत्यु प्रमाणपत्र और जीवित सदस्य प्रमाणपत्र जमा करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. हमारा कर्तव्य पीड़ित परिवारों को सांत्वना देना और उनका समर्थन करना है, न कि उनके लिए समस्याएं पैदा करना. इसके साथ उन्‍होंने कहा कि आवेदकों को कार्यालय आने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए. तुच्छ कारणों से राशि के वितरण में कोई विलम्ब नहीं होना चाहिए. अगर जीवनसाथी जीवित है तो उन्हें पूरी राशि दें. यदि कई बच्चे जीवित हैं, तो राशि को उनमें बराबर-बराबर बांट दें. कागजी कार्रवाई को ढेर मत लगाएं.

अब तक मिले 25 हजार से ज्‍यादा आवेदन
इस बीच आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मरने वालों की संख्या की तुलना में दिल्ली को अनुग्रह राशि के लिए अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं. सरकार के अनुसार उन्हें 25,709 आवेदन प्राप्त हुए हैं, लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड कहते हैं कि शहर में 25,087 लोग कोरोना से मरे हैं. जबकि इन आवेदनों में से 24,475 का मिलान गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची से किया गया है. सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि लगभग 19,000 आवेदकों का सत्यापन पूरा हो चुका है. सत्यापन के दौरान 1,250 लोगों ने योजना से बाहर होने का विकल्प चुना. वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने योजना के तहत 24,475 आवेदकों में से 9,043 आवेदनों को मंजूरी दी है. अब तक अनुग्रह राशि 7,163 लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित की गई है.

इसके अलावा अधिकारियों ने कहा कि यह संख्या आधिकारिक मौतों से अधिक है, क्योंकि अन्य राज्यों के कुछ लोगों ने भी अनुग्रह राशि के लिए आवेदन किया है. कई लोगों की अस्पताल के बाहर और घरों में ही मौत हो गई थी और उनके अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार किए गए थे, जो आधिकारिक कोविड की मृत्यु की तुलना में बहुत अधिक थे, खासकर दूसरी लहर के दौरान. उन लोगों के भी अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किए गए, जिनमें कोविड पॉजिटिव होने की रिपोर्ट नहीं थी, लेकिन बीमारी के समान लक्षण प्रदर्शित हुए थे.

अधिकारी अब मुआवजे को मंजूरी देने के लिए एमएचए या दिल्ली सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड द्वारा प्रदान की गई सूची से कोविड से मरने वालों के नामों की जांच करेंगे. मुआवजा योजना के तहत कोरोना के कारण मरने वाले व्यक्ति के पति या पत्नी, माता-पिता या बच्चे वित्तीय पृष्ठभूमि से इतर 50,000 रुपये के एकमुश्त मुआवजे के पात्र हैं.

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