कोयला संकट पर CM केजरीवाल ने चेताया- देश में नाजुक है स्थिति

नई दिल्‍ली. राजधानी दिल्‍ली समेत देश के कई राज्‍यों में कोयले की कमी (Coal Shortage) की वजह से मंडरा रहे बिजली संकट को लेकर दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बड़ा बयान दिया है. उन्‍होंने कहा कि हम केंद्र के साथ मिलकर पूरी कोशिश कर रहे हैं. हम नहीं चाहते किसी भी तरह की आपात स्थिति पैदा हो. इस समय पूरे देश में स्थिति काफी नाजुक है. कई मुख्यमंत्री इस बारे में केंद्र सरकार को पत्र लिख चुके हैं.

इससे पहले 9 अक्‍टूबर को दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को व्यक्तिगत रूप से कोयले के संकट में हस्तक्षेप करने के लिए पत्र लिखा था. मुख्यमंत्री ने लिखा था, ‘ दिल्‍ली शहर अगस्त से कोयले की कमी का सामना कर रहा है. मैं आपका ध्यान कोयले की कमी की स्थिति पर आकृष्ट कराना चाहता हूं जो अगस्त/सितंबर से जारी है और अब तीन महीने होने जा रहे हैं. इस पर आप कोई ठोस कदम उठाएं. ‘

वैसे रविवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा था कि देश में कोयले कमी नहीं है, लेकिन इसके बाद भी दिल्‍ली के सीएम समेत कई मंत्री लगातार कोयले की कमी का बात कर रहे हैं. आज सुबह दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरे देश में बिजली के कट क्यों लग रहे हैं? हमें जानकारी नहीं है. योगी आदित्यनाथ को तो जानकारी होगी, वे तो उन्हीं के मुख्यमंत्री हैं, वे पत्र क्यों लिख रहे हैं. इसके अलावा जैन ने कहा कि किसी भी पावर प्लांट में 15 दिन से कम का स्टॉक नहीं होना चाहिए. अभी ज्यादातर प्लांट में 2-3 दिन का स्टॉक बचा है. एनटीपीसी (NTPC) के सारे प्लांट 55-50 फीसदी क्षमता पर काम कर रहे हैं. कोयले की बहुत बड़ी समस्या इस समय है. साथ ही कहा कि पहले हमें 4000 मेगावाट बिजली मिलती थी, लेकिन अब आधी भी नहीं मिल रही.

दिल्‍ली ने 2009 में भी झेला था बिजली संकट
बता दें कि दिल्‍लीवालों ने करीब 12 साल पहले जून महीना में बिजली का संकट झेला था. इस दौरान एक तरफ लू चल रही थी, तो दूसरी तरफ रोज 10-12 घंटे बिजली कटौती होती थी. यही नहीं, बिजली संकट की वजह से राजधानी की एक चौथाई ट्रैफिक लाइट्स ने काम करना बंद कर दिया था. इस दौरान मंडोला पावर स्‍टेशन ट्रिप कर गया था. इसके अलावा 30 जुलाई 2012 के ब्‍लैकआउट से देश के करीब 40 करोड़ लोगों को प्रभावित किया था. इस दौरान उत्‍तर और पूर्वोत्‍तर भारत की बड़ी आबादी अंधेरे में रहने को मजबूर थी.

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