ट्विटर तक सिमट कर रह गई चिंकी की आवाज़, कैद बरकरार

चिंकी की सुध ना तो पुलिस ले रही है और ना ही वन विभाग

शामली: बंदर भगाने के लिए रस्सी से जकड़ी गई चिंकी को ट्वीटर पर उठी आवाज़ से आज़ादी की आस जगी थी, लेकिन पुलिस से मिला कार्यवाही का आदेश उसके लिए सिर्फ खोखला दावा साबित हुआ. चिंकी अभी भी पेट्रोल पंप पर काम करने वाले लोगों के लिए, बंदर भगाने का हथियार बनी हुई है. चिंकी की सुध ना तो पुलिस ले रही है और ना ही वन विभाग के लापरवाह अधिकारी को उसकी परवाह है.

यह पूरा मामला शामली जिले के थानाभवन कस्बे का है. यहां रतन पेट्रोल पंप पर एक लंगूर को रस्सी से बांधकर रखा गया है. पेट्रोल पंप पर काम करने वाले लोग चिंकी नाम के इस लंगूर के बंदर भागने वाले काम से काफी खुश नजर आते हैं, लेकिन यहां किसी को भी चिंकी की आज़ादी की कोई परवाह नही है. कुलदीप चौधरी नाम के एक वन्य प्रेमी की नजर चिंकी पर पड़ी तो उसने शामली पुलिस के ट्वीटर हैंडल पर इसकी शिकायत की. वन्यप्रेमी ने पुलिस को बताया कि यह बीमार लग रही है, जिसे करीब 1 साल से रस्सी से बंधा गया है. कुलदीप के ट्वीट पर उस समय चिंकी की रिहाई आस जगी, जब शामली पुलिस ने ट्वीट पर संज्ञान लेते हुए थानाभवन पुलिस को आवश्यक कार्यवाही के लिए निर्देशित किया, लेकिन चिंकी की आज़ादी का फरमान सिर्फ ट्वीटर तक सिमट कर रह गया और aaj तक उसकी सुध लेने के लिए कोई नही पहुचा। इस मामले में जब जिला वन अधिकारी डॉ. विनय कुमार से वार्ता की तो उन्होंने फ़ोन पर बताया कि इस मामले में कोई विशेष कार्यवाही करने जैसा कुछ नही है। वन अधिकारी का कहना है की लंगूर बंदर भगाने के काम के लिए रखा गया है।

वन अधिकारी नही जानते नियम

इस मामले में जिला वन अधिकारी की कार्यप्रणाली सवाल खड़े कर रही है. नियमानुसार बंदरों से सुरक्षा के लिए लंगूर को नहीं रखा जा सकता. लंगूर को बांधकर रखना अपराध है. इसके लिए अक्टूबर 2012 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ले गाइडलाइन भी जारी की थी. वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 के तहत इसे अपराध माना गया है।

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