चीन को मिलेगा सबक, अमेरिकी सेना के साथ युद्धाभ्यास करेगी भारतीय वायुसेना-नौसेना

नई दिल्‍ली. भारतीय नौसेना (Indian Navy) और वायुसेना (Indian Airforce) आने वाले दिनों में अमेरिकी नौसेना (US Navy) के साथ बड़े स्‍तर पर युद्धाभ्‍यास करेगी. यह युद्धाभ्‍यास हिंद महासागर (Indian Ocean) में होगा. यह अमेरिका के साथ ‘स्ट्रैटेजिक आउटरीच एक्सरसाइज’ का हिस्सा होगी.

दक्षिण चीन सागर में चीन (China) की दादागिरी को खत्म करने के मकसद से भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक साथ आए हैं. इन देशों ने क्‍वाड समूह भी बनाया था. अब यह चीन के लिए आने वाले दिनों में खासा दिक्‍कतों का सबब बनने जा रहा है. पिछले कुछ समय से अमेरिकी नौसेना का कैरियर स्ट्राइक ग्रुप जब भी हिंद महासागर से होकर गुजरता है तो भारतीय नौसेना के साथ अभ्यास जरूर करता है.

इसी की कड़ी में अमेरिकी नौसेना के साथ भारतीय नौसेना हिंद महासागर में सामरिक महत्व की एक बड़ी एक्सरसाइज करने जा रही है. 23 और 24 जून को आयोजित किए जा रहे इस नौसैन्य अभ्यास में भारतीय नौसेना के जंगी जहाज और लड़ाकू विमानों के अलावा भारतीय वायुसेना की तरफ से सुखोई और जगुआर फाइटर जेट भी शिरकत करेंगे.

इसके अलावा इस अभ्‍यास में एवैक्स टोही विमान और मिड एयर रिफ्यूलर्स हिस्सा ले रहे हैं. ये एक्सरसाइज स्ट्रैटेजिक आउटरीच एक्सरसाइज के तहत त्रिवेंद्रम से सटे समंदर में की जाएगी. भारतीय वायुसेना के मुताबिक अमेरिकी नौसेना के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप में एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड रीगन, मिसाइल विध्‍वंसक यूएसएस हैलसे और गाइडेड मिसाइल क्रूजर यूएसएस सिलो हिस्सा ले रहे हैं. ‘रोनाल्ड रीगन’ पर तैनात अमेरिकी फाइटर एफ-18 होर्नेट और टोही विमान ईटूसी हॉकआई हिस्सा लेगा.

वहीं भारतीय नौसेना की तरफ से इस पैसेज एक्सरसाइज में आईएनएस कोच्चि और तेग युद्धपोत हिस्सा लेंगे तो वहीं युद्धाभ्यास में नौसेना के मिग-29 के फाइटर जेट्स और पी8आई टोही विमान भी अमेरिकी विमानों के साथ अभ्यास करते दिखेंगे. इस अभ्यास में क्रॉस डेक हेलीकॉप्टर ऑपरेशंस और एंटी सबमरीन ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा. नौसेना के मुताबिक हिंद महासागर में शांति कायम रखने के लिए भारत और अमेरिका की नौसेनाएं परस्पर सहयोग के अलावा ‘वॉर फाइटिंग स्किल्स’ को इस अभ्यास के दौरान आजमाया जाएगा. इससे पहले भी इसी साल मार्च के महीने में भी भारतीय नौसेना ने अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप यूएसएस थियोडोर रोजवेल्ट के साथ पूर्वी हिंद महासागर में पास एक्स अभ्यास किया था. जिसमें पहली बार भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया था.

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