निकाह, नज़राना और मौलवी: जानिए क्या है वक्फ़ बोर्ड के नए नियम, क्यों पूरे देश में हो रही है चर्चा ?

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य में मौलवियों द्वारा निकाह पढ़ाने की अधिकतम फीस ₹1100 निर्धारित कर दी है। यह फैसला आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम परिवारों को राहत देने और धार्मिक सेवाओं में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लिया गया है।
क्या था विवाद? मौलवी ने ₹5100 न मिलने पर निकाह से किया इनकार
हाल ही में सामने आए एक मामले में एक मौलवी ने ₹5100 का नजराना न मिलने पर निकाह पढ़ाने से इनकार कर दिया था। इस मामले ने वक्फ बोर्ड का ध्यान आकर्षित किया और कार्रवाई की नींव रखी।
नई गाइडलाइंस: न्यूनतम ₹11 और अधिकतम ₹1100 तय
वक्फ बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि अब कोई भी मौलवी ₹11 से कम और ₹1100 से अधिक नजराना नहीं ले सकता। इससे अधिक राशि लेने पर कार्रवाई तय है।
उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी
बोर्ड ने साफ किया है कि जो मौलवी या इमाम इस आदेश का पालन नहीं करेंगे, उन्हें निकाह पढ़ाने से रोका जाएगा और अन्य अनुशासनात्मक कदम भी उठाए जा सकते हैं।
मुतवल्लियों को सौंपी गई ज़िम्मेदारी
बोर्ड ने सभी वक्फ संपत्तियों के मुतवल्लियों (प्रबंधकों) को आदेश दिए हैं कि वे इस गाइडलाइन का पालन करवाएं और निगरानी रखें कि कोई मौलवी इसका उल्लंघन न करे।
तलाक के मामलों में आई 33% की गिरावट
बोर्ड के अनुसार, इस आदेश के बाद निकाह प्रक्रिया में पारदर्शिता आने से तलाक के मामलों में भी 33% की गिरावट दर्ज की गई है। यह सामाजिक रूप से एक बड़ा संकेत है।
डिजिटल वसूली प्रणाली: किराए की वसूली अब ऑनलाइन
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने देश में पहली बार वक्फ संपत्तियों का किराया ऑनलाइन वसूलने की पहल की है। अब तक ये प्रक्रिया ऑफलाइन होती थी, जिससे पारदर्शिता में कमी थी।
वक्फ संपत्तियों से आएगा करोड़ों का राजस्व
छत्तीसगढ़ में वक्फ बोर्ड की लगभग 5000 करोड़ की संपत्तियां हैं। पहले जहां सालाना आय ₹5 लाख से कम होती थी, वहीं अब डिजिटल प्रणाली से करोड़ों की आमदनी की उम्मीद है।
आय का इस्तेमाल होगा शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण में
ऑनलाइन वसूली से मिली राशि का उपयोग गरीब मुसलमानों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक कल्याण कार्यों में किया जाएगा।
वक्फ बोर्ड का बयान: शरीयत में लालच की कोई जगह नहीं
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने कहा कि शरीयत के अनुसार, निकाह एक धार्मिक कर्तव्य है, व्यापार नहीं। इसे लालच का जरिया नहीं बनाया जा सकता।
धार्मिक सेवाओं को व्यावसायिकता से मुक्त करने की पहल
यह निर्णय इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि धार्मिक गतिविधियां सेवा की भावना से की जाएं, न कि आर्थिक लाभ के लिए।
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड की यह पहल केवल एक राज्य तक सीमित न रहकर देशभर के मुस्लिम समाज में धार्मिक सेवाओं को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाने की दिशा में प्रेरणा बन सकती है।