जानिए, बेलाउर सूर्य मंदिर की कहानी:​​​​​​​यहां श्रद्धालुओं को मिलता है मनोकामना का सिक्का,

पूरा होने पर वापस आते हैं लोग

पटना से 75 किलोमीटर दूर भोजपुर जिले के बेलाउर गांव में स्थित सूर्य मंदिर।

राजधानी पटना से 75 किलोमीटर दूर भोजपुर जिले के बेलाउर गांव में स्थित है बेलाउर सूर्य मंदिर। इस मंदिर में छठ व्रत का अपना खास महत्व है। यह मंदिर गांव के भैरवानंद पोखर के बीच में स्थित है। सूर्य मंदिर विकास समिति ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी पिंटू चौधरी के अनुसार, इस तालाब में छठ करने का अपना खास महत्व है। यहां लोग दूर-दूर से छठ करने आते हैं और मन्नत मांगते हैं। वहीं, मन्नत पूरी हो जाने पर श्रद्धालु फिर से मंदिर में आकर छठ करते हैं। यह परंपरा दशकों से चली आ रही है।

सूर्य मंदिर विकास समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष मधेश्वर शर्मा ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण 1506 में उस समय के राजा बावन सुबवा ने करवाया था। बाद के सालों में मंदिर टूट गया। साल 2007 में यहां आए मौनी बाबा (करवासीन) निवासी ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। तब से हर वर्ष यहां पर छठ करने के लिए कई राज्यों से हजारों श्रद्धालु आते हैं। मधेश्वर शर्मा ने बताया कि मंदिर जीर्णोद्धार से पूर्व मौनी बाबा ने इस स्थान पर 12 वर्षों तक साधना की थी।

ऐसी है मंदिर की बनावट
बेलाउर गांव में बने 52 पोखरों में से एक भैरवानंद पोखर में बेलाउर सूर्य मंदिर बना है। यह मंदिर पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिभिमुख है। मंदिर में सात घोड़े वाले रथ पर सवार भगवान भास्कर की प्रतिमा है। मंदिर के चारों कोने पर मकराना संगमरमर से बनी दुर्गा जी, शंकर जी, गणेश जी और विष्णु जी की प्रतिमा है। वहीं, यहां व्रत करने आने वाले छठ व्रतियों की सुविधाओं के लिए काफी व्यवस्था की गई है।

भगवान सूर्य की प्रतिमा।

मनोरथ पूर्ण होने पर सिक्का वापस करने आते श्रद्धालु
पिंटू चौधरी ने बताया कि यहां छठ करने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर की ओर से एक सिक्का दिया जाता है। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु मंदिर द्वारा मिले सिक्के को वापस लेकर आते हैं। उन्होंने बताया कि हर वर्ष दिए गए सिक्कों का 50 फीसदी से अधिक सिक्का वापस मंदिर में चला आता है। यह दर्शाता है कि मंदिर में सच्चे मन से मन्नत मांगने पर वह पूरी होती है। मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु सिक्का को मंदिर के चौखट पर ठोक देते हैं।

नहाय खाय से ही पहुंचने लगती हैं छठ व्रती
चार दिनों के महापर्व छठ की शुरुआत नहाए-खाय से हो जाती है। बेलाउर सूर्य मंदिर में हर साल श्रद्धालुओं की भीड़ इसी दिन से जुटने लगती है। मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालु तीन दिन तक रुकते हैं। कई वर्षों से यहां छठ व्रतियों की काफी भीड़ उमड़ती है। मंदिर ट्रस्ट की तरफ से यहां श्रद्धालुओं के ठहरने और उनकी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाता है। छठ पर्व पर घाटों को सजाया जाता है। जिला प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों की तैनाती की जाती है।

खबरें और भी हैं…

Related Articles

Back to top button