40 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवारों का बदलना सपा के हार का बना कारण, वोट प्रतिशत बढ़ने पर भी नहीं मिली सत्ता

सपा ने कहा बसपा की कमजोरी का भाजपा को मिला फायदा

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद सपा ने 21 मार्च को अपने विधायकों व नेताओं बैठक बुलाई है. इस खास बैठक में पार्टी की चुनाव में हार की समीक्षा की जाएगी. जिससे आने वाले चुनाव दोबारा से इस तरह की गलती न दोहराया जाए. वहीं सपा की हार के पीछे एक और बड़ा कारण सामने आ रहा है. जिसके कारण पार्टी को कई सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा है. असल में पार्टी ने 40 से अधिक सीटों पर अपने पूर्व में घोषित उम्मीदवारों को बदल दिया था. जिसकी वजह से इन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. वहीँ कुछ सीटों पर तीन बार प्रत्याशी बदले गए. जिसकी वजह से जनता कंफ्यूज हो गई है.

बसपा की कमजोरी को बीजेपी का मिला फायदा

बता दें विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 2017 के चुनाव की तुलना में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. हालांकि पार्टी को इस बार सत्ता में आने की उम्मीद थी और इसके लिए पार्टी ने जी जान से तैयारियां भी की थी. वहीं अगर चुनाव में वोटिंग फीसदी की बात करें तो पार्टी को इस बार पिछली बार की तुलना में ज्यादा वोट मिला है, लेकिन इसके बावजूद वह सत्ता से दूर हो गई है. जबकि 2012 के चुनाव में पार्टी को 29.13 फीसदी वोट मिले थे और वह 224 सीट जीतकर सरकार बनाने में सफल रही थी. इस बार उसे 32.10 फीसदी से ज्यादा वोट मिला है, लेकिन वह सरकार नहीं बना सकी है. जबकि भाजपा को 41.3 फीसदी वोट मिले हैं और उसने 255 सीटें जीती हैं. हालांकि सपा नेताओं का कहना है कि बसपा के कमजोर होने की वजह से पार्टी को नुकसान हुआ और भाजपा को इसका पूरा लाभ मिला.

हार की जाएगी समीक्षा

सपा ने प्रत्येक विधानसभा के प्रत्येक बूथ के उम्मीदवार, दलवार परिणामों का डाटा मंगवाया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने इसके लिए सभी को आदेश दिया है. सभी बूथों से जानकारी मिलने के बाद पार्टी पहले अपनी कमजोरियों का पता लगाएगी और इसके बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी.

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