मजदूरों के हितों में बने कानूनों को खत्म कर रही केंद्र सरकार: नकुलनाथ

छिंदवाड़ा। असंगठित कामगार कांग्रेस की बैठक में बोलते हुए सांसद नकुलनाथ ने कहा कि कामगारों, गरीबों एवं वंचितों के जीवन को बेहतर बनाने, उन्हें आर्थिक विकास से जोडऩे तथा आर्थिक बरावरी लाने के लिए कांग्रेस की सरकार ने श्रम कानून बनाए, इन कानूनों में न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा एवं संगठन बनाने जैसे कानून शामिल हैं। संसद में जब कामगारों के हितों के लिए कानूनों पर चर्चा होती थी, तब हमारे लोकप्रिय नेता कमलनाथजी केंद्र में मंत्री होते थे, वे मजदूरों के पक्ष में कानून बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे, इतना ही नहीं कमलनाथजी मजदूरों के लिए बनाए गए कानूनों को लागू कराकर कामगारों को उसका फायदा दिलाते थे।

कांग्रेस कांग्रेस के जिला अध्यक्ष वासुदेव शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में सांसद नकुलनाथ ने कहा कि मैं उन चार कानूनों की बात करना चाहूंगा, जिन्होंने असंगठित क्षेत्र के करोड़ों मजदूरों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला और आर्थिक गतिविधियों में शामिल, इनमें पहला ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून। दूसरा, भवन एवं सनिर्माण कर्मकार कानून। तीसरा, वनाधिकार कानून एवं चौथा स्ट्री बैंडर कानून। उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि इन चारों ही कानूनों को बनवाने में हमारे लोकप्रिय नेता कमलनाथजी की भूमिका रही है। रोजगार गारंटी कानून ने ग्रामीण गरीबों, खेत मजदूरों को नौकरी की गारंटी दी और उनकी आमदनी बड़ी, जिससे उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल भेजा और अब वे पढ़ लिखकर सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं। निर्माण के क्षेत्र में काम करने वाले असंगठित कामगारों के लिए बनाए गए कानूनों ने उन्हें न्यूनतम वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी, जिससे उनकी आर्थिक आय बढ़ी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधाएं हांसिल हुई।

इसी तरह वनाधिकार कानून के लागू होने के बाद लाखों आदिवासी परिवारों को जमीनों का मालिकाना हक मिला और आज वे जमीन के मालिक हैं और खेती कर रहे हैं। स्ट्रीट बैंडर एक्ट के जरिए शहरों में फुटपाथ पर काम करने वाले कामगारों को फुटपाथ पर काम करने का कानूनी अधिकार मिला। किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए नकुलनाथ ने कहा कि मोदी सरकार के जिन तीन बिलों के खिलाफ किसान सड़क पर हैं, वे बिल कामगार विरोधी भी हैं, मंडियों के खत्म होने पर हम्माल, पल्लेदार, तुलावटी सहित मंडी एवं समितियों में काम करने वाले कामगारों की जीविका चली जाएगी।
सांसद नकुलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार ने कामगारों के हक में बने इन कानूनों को या तो लागू नहीं किया और लागू भी किया तो आधे अधूरे तरीके से, इस कारण से इन कानूनों को असंगठित श्रमिकों को पूरा फायदा नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथजी ने नया सवेरा योजना शुरू की, इस योजना का मकसद ही यही था कि मजदूरों के हक में बने कानूनों पर सख्ती से अमल कराया जाए तथा ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू करना। गरीबों की बच्चियों की शादी में 51 हजार एवं 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली मजदूरों, गरीबों एवं कमजोर तबके के हिते में लिया गया क्रांतिकारी फैसला था। नकुलनाथजी ने कहा कि कमलनाथ सरकार की नया सवेरा योजना के तहत अलग-अलग श्रेणियों के मजदूरों के पंजीयन कराए जाने का प्रावधान था, जिससे हर कामगार को उनकी योजना का फायदा मिल सके, लेकिन कुछ बिकाऊ विधायकों एवं भाजपा की खरीद-फरोख्त की नीति के कारण मजदूरों के हक में काम करने वाले कमलनाथ सरकार को गिरा दिया गया। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार के गिरने का सबसे अधिक नुकसान मजदूरों, गरीबों, वंचितों, आऊटसोर्स, अतिथि, संविदा जैसे अस्थाई प्रवृति का काम करने वाले कामगारों का हुआ है।

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