मध्य अमेरिकी देश हौन्डुरस ने ताइवान से तोड़ा रिश्ता, वजह बना चीन

बीजिंग –चीन और ताइवान के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद गहराता जा रहा है।अमेरिकी नेता नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा ने दोनों देशों के बीच एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। पेलोसी के वापस जाते ही चीन ने ताइवान का घेराव शुरू कर दिया है।ऐसे में दोनों देशों के बीच युद्द की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।इसी बीच चीन ने एक और देश को ताइवान के साथ रिश्ते खत्म करने के लिए तैयार कर लिया। होंडुरास ने ताइवान से रिश्ते खत्म कर चीन के साथ समझौता कर लिया है। जिसे चीन की बड़ी कूटनीतिक कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। होंडुरास और चीन के विदेश मंत्रियों ने एक साझा बयान जारी किया। बीजिंग में हुए इस ऐलान बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने इसे होंडुरास द्वारा सही चुनाव बताया।ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के रिश्ते पिछले कुछ महीनों में लगातार तनावपूर्ण रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अमेरिका सीधे तौर पर ताइवान की तरफदारी कर रहा है इसलिए होंडुरास के फैसले को दक्षिण अमेरिका में चीन के बढ़ते प्रभाव के तौर पर देखा जा सकता है।चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने कहा कि होंडुरास के साथ संबंध स्थापित करना दिखाता है कि चीनी नीति पर टिके रहना लोगों का दिल जीत रहा है। उन्होंने कहा हम ताइवान सरकार को यह संदेश पूरी सख्ती के साथ देना चाहते हैं कि वे अलगाववादी गतिविधियों में शामिल ना हों। ताइवान की आजादी चीनी राष्ट्र की इच्छा और हितों के खिलाफ है। यह इतिहास के विरुद्ध है और विफलता ही इसकी नियति है। होंडुरास के विदेश मंत्रालय ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा कि उनका देश मानता है कि दुनिया में एक ही चीन है।उन्होंने लिखा, बीजिंग की सरकार ही एकमात्र वैध सरकार है जो पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करती है। ताइवान चीन का एक अभिन्न अंग है और आज होंडुरास की सरकार ने ताइवान को सूचित कर दिया है वू ने कहा कि होंडुरास की राष्ट्रपति शियोमारा और उनके दल को हमेशा ही चीन को लेकर फंसाती रही है। राष्ट्रपति चुनाव से पहले भी वह रिश्ते तोड़ने का मुद्दा उठा चुकी थीं।

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