ओडिशा रेल दुर्घटना में इंटरलॉकिंग सिस्टम में हस्तक्षेप की आशंका ,सीबीआई करेगी अब जांच!

ओडिशा।  बालासोर निवासी पापू कुमार नाइक ने रेलवे अ​​धिकारियों पर आपरा​धिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए ​प्राथमिकी दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि अ​धिकारियों की लापरवाही के कारण यह दुघर्टना हुई है। भारतीय दंड सहिंता (IPC) की संबं​धित धाराओं के साथ ही रेल अ​धिनियम की धारा 153, 154 और 175 के तहत अज्ञात व्य​क्तियों की भी इस मामले में जांच की जाएगी।

 

प्राथमिकी के सार में कहा गया है, ‘फिलहाल रेलवे कर्मचारियों की संलिप्तता का पता नहीं चला है लेकिन जांच में यह सामने आएगा।’ नाइक ने अपनी ​शिकायत में कहा है, ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना रेलवे की लापरवाही के कारण हुई है जिससे मानव जीवन और संप​त्ति को भारी नुकसान हुआ है।’

अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई बालासोर ट्रेन दुर्घटना की जांच अपने हाथ में लेने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसमें कम से कम 275 लोगों की मौत हो गई और 1,100 लोग घायल हो गए। प्रक्रिया के अनुसार, केंद्रीय एजेंसी ओडिशा पुलिस द्वारा तीन जून को दर्ज बालासोर जीआरपी केस नंबर-64 को अपने हाथ में लेगी। यह मामला ट्रेन हादसे के एक दिन बाद दर्ज किया गया था।

सीबीआई स्थानीय पुलिस की प्राथमिकी को अपने मामले के रूप में फिर से दर्ज करके जांच शुरू करती है। सीबीआई अपनी जांच पूरी होने के बाद दाखिल आरोपपत्र में प्राथमिकी से आरोप जोड़ या हटा सकती है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार शाम को संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने ट्रेन हादसे से जुड़ी दुर्घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की है।’’

रेलवे ने ओडिशा ट्रेन हादसे में रविवार को एक तरह से चालक की गलती और प्रणाली की खराबी की संभावना से इनकार किया तथा संभावित ‘तोड़फोड़’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ प्रणाली से छेड़छाड़ का संकेत दिया।
शुक्रवार को हुए हादसे की आ​धिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है कि टक्कर इतनी जोरदार थी की रेलगाड़ी के 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और तीन डिब्बे दूसरे ट्रैक पर आ गए।

 

उसी समय हावड़ा-बेंगलूरु एक्सप्रेस दूसरी तरफ से वहां से गुजर रही थी, जिसे बगल के ट्रैक पर गिरे तीन डिब्बे उससे टकरा गए और दो डिब्बे पटरी से बाहर आ गए। लूप लाइन में दूसरी ओर खड़ी एक मालगाड़ी पर भी इस दुर्घटना का असर पड़ा था।

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