कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात, जानें क्या हुई बात

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात कर उत्तराखंड के राजनीतिक हालातों पर चर्चा की। उन्होंने भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने के लिए नड्डा को पूरी तरह से आश्वस्त दिया। नड्डा और रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने नई दिल्ली स्थित पार्टी कार्यालय में नड्डा और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख व सांसद अनिल बलूनी से मुलाकात की।

हरक ने अलग से काफी देकर नड्डा के साथ आगामी विधान सभा चुनाव के मद्देनजर विधानसभा सीटों के गणित को लेकर चर्चा की। सूत्रों का कहना है कि हरक ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष कई सीटों का जातीय आंकड़ा भी रखा और कहा कि कैसे इन सीटों पर जीता जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा का हिन्दुत्व का जो नारा है, उसका गढ़ उत्तराखंड है और ऐसे में अगर उत्तराखंड में कमजोर हुए तो इसका गलत संदेश जाएगा।

बकौल हरक, मुझे चुनाव संचालन समिति में कोई जिम्मेदारी मिलती है या नहीं, इसके बावजूद पार्टी का वफादार कार्यकर्ता होने के नाते पूरी मेहनत के साथ भाजपा को दोबारा सत्ता में लाएंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं :कैबिनेट मंत्री हरक के दिल्ली रवाना होते ही सोशल मीडिया में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को बदलने को लेकर चर्चाएं होने लगी।

राजनीतिक गलियारों में ये चर्चाएं तैरने लगी की हरक या फिर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल प्रदेश अध्यक्ष बन सकते हैं। हालांकि, पार्टी कार्यकर्ताओं को किसी भी नजरिए से यह समीकरण उचित नहीं लगता। जातीय समीकरण के हिसाब भी मुख्यमंत्री और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष एक ही जाति से बनाने का जोखिम कोई भी पार्टी नहीं लेती है।

भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि हरक अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कई पार्टियों में पाला बदल चुके हैं, ऐसे में संगठन में इतनी बड़ी भूमिका देना बिल्कुल भी मुमकिन नहीं लगता। वहीं मंत्री सुबोध उनियाल को भी भाजपा में आए अभी पांच साल ही हुए हैं, उन्हें भी संगठन में अहम जिम्मेदारी मिलना मुश्किल है। उधर, भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने कहा कि यह सामान्य मुलाकात है।

राज्य में होने वाले चुनाव को लेकर मेरी पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से बात हुई। इस दौरान राज्य की लगभग सभी सीटों खासकर केदारनाथ, धारचूला सहित कांग्रेस वाली सीटों पर भी बात हुई। इन सीटों पर कैसे चुनाव जीतना है, इस रणनीति का खाका हाईकमान के समक्ष रखा। इन सीटों पर जातीय समीकरण के हिसाब से कौन से कंडीडेट मुफीद हो सकते हैं। इसके साथ ही यशपाल आर्य के पार्टी छोड़ने पर क्या फर्क पड़ सकता है। इन सभी मुद्दों पर गहन चर्चा हुई है।

Related Articles

Back to top button