यूपी में BJP नेता के घर चला ‘योगी का बुलडोजर’, ढाह दिया मकान.. कार्यकर्ताओं ने प्रशासन को बताया ‘बेलगाम’

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में प्रशासन ने मंगलवार को अतिक्रमण हटाने के अभियान के तहत कई निर्माणों को ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई में एक मकान बीजेपी नेता का भी बताया जा रहा है, जिसे लेकर अब राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। प्रशासन का कहना है कि ये मकान सरकारी जमीन पर बने थे और कई बार नोटिस देने के बाद भी जब कब्जा नहीं हटाया गया, तो मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी।

बीजेपी नेता का मकान भी कार्रवाई की जद में

स्थानीय बीजेपी नेता राजू द्विवेदी का घर भी बुलडोजर की जद में आ गया, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि यह मकान सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बना था। प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर जेसीबी की मदद से मकान को ढहा दिया। स्थानीय लोगों और बीजेपी समर्थकों ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि कार्रवाई राजनीतिक द्वेष से प्रेरित हो सकती है।

SDM बोले- वैधानिक प्रक्रिया के बाद ही की गई कार्रवाई

एसडीएम प्रमोद कुमार का कहना है कि जिन सभी मकानों पर बुलडोजर चलाया गया, वे सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए थे। उन्होंने कहा कि इससे पहले संबंधित लोगों को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद नियमानुसार कार्रवाई की गई। प्रशासन का दावा है कि किसी भी निर्दोष के साथ अन्याय नहीं हुआ है।

“सरकार अपने ही कार्यकर्ताओं के घर गिरा रही है”

इस कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने योगी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने कहा कि सरकार अब अपने ही कार्यकर्ताओं के घर पर बुलडोजर चला रही है, जो साबित करता है कि प्रशासन बेलगाम हो चुका है। विपक्ष का यह भी कहना है कि गरीबों और आम लोगों को बिना सुने उनके आशियाने ढहा दिए जा रहे हैं।

जनता में भय का माहौल, कई लोग खुद हटाने लगे कब्जा

इस कार्रवाई के बाद चित्रकूट में दहशत का माहौल है। कई लोगों ने खुद ही अपने अतिक्रमण को हटाना शुरू कर दिया है ताकि उनके खिलाफ भी बुलडोजर न चले। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि आगे भी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ ऐसी ही कार्रवाई जारी रहेगी।

बुलडोजर राजनीति या कानून का राज?

चित्रकूट की यह कार्रवाई एक बार फिर उत्तर प्रदेश की बुलडोजर नीति को लेकर चर्चा में आ गई है। सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई पूरी तरह निष्पक्ष और कानून के मुताबिक की जा रही है या इसके पीछे राजनीतिक उद्देश्य हैं? प्रशासन का दावा है कि सब कुछ नियमानुसार हो रहा है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह एक नई बहस को जन्म दे चुका है।

 

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