48 घंटों से केरल में खड़ा है दुनिया का सबसे महंगा फाइटर जेट.. जानिए किस देश का और क्यों भारत में फंसा ?

14 जून 2025 की रात केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (TRV) पर एक ब्रिटिश F‑35B स्टील्थ लड़ाकू विमानों की इमरजेंसी लैंडिंग ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग की चर्चा को उभार दिया। यह दुनिया का सबसे महंगा और अत्याधुनिक 5वीं पीढ़ी का एयरक्राफ्ट है, जिसे HMS Prince of Wales कैरियर स्ट्राइक ग्रुप से ऑपरेट किया जा रहा था।
ईंधन की कमी के चलते खतरे का आभास
विमान जब अरब सागर में अपने सामान्य उड़ान मिशन से लौट रहा था, तो पायलट ने ईंधन स्तर बेहद निम्न होने की सूचना दी। मौसम के अनुकूल न होने की वजह से विमान HMS Prince of Wales पर पुनः लैंड नहीं कर सका और मानवीय सुरक्षा प्राथमिकता को देखते हुए तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर डायवर्जन की जरूरत पड़ गई।
हवाई अड्डे पर त्वरित और सुरक्षित लैंडिंग
भारतीय वायुसेना (IAF) और एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने तुरंत इमरजेंसी घोषित कर विमान को बे एरियर 4 पर सुरक्षित रूप से उतारा। लैंडिंग करीब रात 9:30 बजे हुई, जिसमें पायलट को कोई क्षति नहीं पहुंची। इस मामले में स्थानीय अधिकारियों ने तत्काल ईंधन भरने की व्यवस्था शुरू की, लेकिन कार्रवाई केंद्रीय अनुमोदन के अधीन है।
तकनीकी और मौसम संबंधी कारण
रॉयल नेवी के सैन्य सूत्रों के अनुसार, कैरियर पर वापसी के दौरान मौसम संकट के कारण कई बार लैंडिंग असफल रही। इसके चलते ईंधन और बढ़ते जोखिम ने भारत में इमरजेंसी लैंडिंग को मजबूर किया। हालांकि किसी तकनीकी खराबी की पुष्टि नहीं हुई, पर शुरुआती रिपोर्टों में मशीन सटीक निरीक्षण के लिए ग्राउंडेड रखी जा रही है ।
भारतीय वायुसेना का योगदान
IAF ने स्पष्ट किया कि यह एक सामान्य डायवर्जन था। सभी एजेंसियों ने साथ मिलकर राहत सुविधा एवं सुरक्षा सुनिश्चित की। IAF ने कहा, “एफ‑35 द्वारा विचलन की सामान्य घटना। भारतीय वायुसेना पूरी तरह से जागरूक है और सभी तरह की सहायता प्रदान की जा रही है… सभी तरह की सहायता दी जा रही है…”
साथ ही यह भी बताया गया कि विमान ADIZ (Air Defence Identification Zone) से बाहर था, लेकिन IAF की IACCS प्रणाली ने तुरंत पहचाना और लैंडिंग को मंजूरी दी।
विशेषताएँ और वैश्विक उपयोग
लॉकहीड मार्टिन निर्मित F‑35B लाइटनिंग II मल्टीरोल, सिंगल इंजन स्टील्थ विमान है, जिसे STOVL (शॉर्ट टेक‑ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग) क्षमता से लैस किया गया है। इसका राडार अवेयरनेस, सेंसर फ्यूजन, सुपरसोनिक तेज़ी और कम रडार सिग्नेचर इसे 5वीं पीढ़ी का बेहद खतरनाक प्लेटफॉर्म बनाते हैं। इसे अमेरिका, ब्रिटेन, इज़राइल समेत NATO देशों द्वारा इस्तेमाल में लाया जाता है।
भारत‑ब्रिटेन रक्षा सहयोग का परिचायक
यह ऑपरेशन ब्रिटेन के आठ माह के “Operation Highmast” के हिस्से के रूप में हो रहा है, जिसमें 13 देशों के साथ Indo‑Pacific क्षेत्रीय साझेदारी के तहत HMS Prince of Wales Carrier Strike Group 25 मौजूद था। साथ ही भारत-कैरिबियन के बीच पश्चिमी अरब सागर में PASSEX अभ्यास हुआ, जिसमें साथ में एंटी‑सबमरीन व हेलीकॉप्टर कॉआर्डिनेशन ट्रायल्स शामिल थे।
आगे की कार्रवाई और विमान की वापसी
विमान को सुनिश्चित सुरक्षा में पार्क किया गया है। अगले दिन ब्रिटिश इंजीनियर टीम द्वारा तकनीकी निरीक्षण किया गया और पायलट को बदलकर पुनः विमान को कर्रिएर तक पहुँचाने की योजना है। लेकिन उड़ान तभी संभव होगी जब रक्षा मंत्रालय से ईंधन भरने और उड़ान की केंद्रीय मंजूरी मिल जाए ।
यह इमरजेंसी लैंडिंग दर्शाती है कि चाहे अत्याधुनिक विमान हों, मानव सुरक्षा सर्वोपरि होती है। भारत‑ब्रिटेन के बीच तेजी से गहरे भरोसे और सहयोग की मिसाल यह घटना दे रही है। भारतीय एयर स्पेस मैनेजमेंट और सैन्य समन्वय ने वैश्विक स्तर पर रक्षा सहयोग का नया मॉडल पेश किया है।