UP चुनाव में हिंदुत्व और राम मंदिर निर्माण की होगी बात

BJP ने तय किया चुनावी एजेंडा, मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले दल होंगे निशाने पर

उत्तर प्रदेश में भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अपना एजेंडा सेट कर लिया है। यह भी तय हो गया है कि इस बार चुनाव में पार्टी का सबसे अहम मुद्दा क्या होगा? पार्टी किस लाइन पर चुनावी मैदान में उतरेगी? इसकी बानगी समझनी हो तो हमें बीते कुछ दिनों में CM योगी और BJP के बड़े नेताओं के बयानों पर नजर डालिए, इससे चुनावी एजेंडा साफ समझ में आ जाएगा। अब बात विकास पर नहीं ‘जिन्ना’ और ‘राम मंदिर’ जैसे मुद्दों पर ही होगी।

सपा मुखिया अखिलेश यादव के जिन्ना वाले बयान पर पलटवार भी उसी चुनावी एजेंडे का हिस्सा है। पिछले 6 दिनों में अखिलेश यादव के बयान पर भाजपा के लगभग हर नेता ने प्रतिक्रिया दी है। शनिवार को तो सीएम योगी ने औरैया में कहा कि ‘जिन्ना का गुणगान करने वालों को रोकना होगा। तो आइए पार्टी के 4 बड़े नेताओं के 4 बड़े बयान से समझते हैं भाजपा का चुनावी एजेंडा।

गृहमंत्री अमित शाह ने लखनऊ से भाजपा सदस्यता अभियान का शुभारंभ किया था।

शाह के निशाने पर तुष्टीकरण करने वाले दल
लखनऊ में सदस्यता अभियान की शुरुआत करने पहुंचे अमित शाह ने कहा था- कैराना से हिंदुओं के पलायन पर मेरा खून खौला। पलायन करने वालों का पलायन हो गया। अखिलेश यादव को मैं याद दिलाता हूं कि आपकी पार्टी की सरकार में निर्दोष रामभक्तों को गोलियों से भून दिया गया था। आज उसी जगह पर रामलला शान के साथ गगनचुंबी मंदिर में विराजमान होने वाले हैं।
योगी ने राम मंदिर को हिंदुओं की उपलब्धि कहा
सीएम योगी आदित्यनाथ ने 3 नवंबर को अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह वही अयोध्या है जहां राम भक्तों पर गोली चलाई जाती रही है। अब कार सेवकों पर गोली नहीं फूल बरसेंगे।
स्वतंत्र देव का मुद्दा हिंदुत्व उत्पीड़न
प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी अखिलेश पर हमला किया। कहा कि जिन्ना के प्रति इतना प्यार देख कर तो ऐसा लग रहा है कि भारत-पाकिस्तान मैच के बाद एक-दो फुलझड़ी आपने भी जला ली होगी..।
केशव मौर्या ने किया था मथुरा का जिक्र
3 नवंबर को ही उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अयोध्या में कहा कि ‘हम लोग वर्षों पूर्व यह नारा लगाया करते थे कि अयोध्या की तैयारी है, काशी-मथुरा की बारी है। अब तो अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है।

जानिए क्या कहते हैं विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक रूद्र प्रताप दुबे कहते हैं कि भाजपा ने धार्मिक आधार पर अपनी चुनावी प्राथमिकता तय कर ली है। अब्बा जान इसकी पहली कड़ी थी और अब तो उन्हें थाली में बैठे-बिठाए जिन्ना का मुद्दा मिल गया है।गृहमंत्री अमित शाह से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धार्मिक टिप्पणियों को आजकल लगातार अपने बयानों और भाषणों में तरजीह दे रहे हैं। प्रधानमंत्री जी को भी देखिए जब वह कुशीनगर में थे तब उन्होंने किसानों की बात की प्रियंका गांधी की बात की लेकिन जब वह सिद्धार्थनगर में आए तो सिर्फ और सिर्फ उन्होंने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा। उसे परिवार वादी पार्टी बताया। मकसद साफ है।समाजवादी पार्टी की बात करने पर भाजपा अपने धार्मिक प्राथमिकताओं को लेकर आगे बढ़ती है। भाजपा लगातार धार्मिक वाद को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। विंध्याचल कॉरिडोर, विश्वनाथ कॉरिडोर हो या अयोध्या का दीपोत्सव हो। उसका प्रचार प्रसार जम कर किया जा रहा है।पार्टी ढके छुपे शब्दों में मथुरा और काशी को भी शामिल कर रही है। ढके छुपे शब्दों में पार्टी यह समझाने की कोशिश कर रही है कि उस बार भाजपा का चुनावी मुद्दा एक बार हिंदुत्व रहेगा।

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