यूपी में मस्जिदों, दरगाहों और मजारों के सामने चौपाल लगाएगी BJP, कोई खास मंशा ? जानिए वजह !

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा उत्तर प्रदेश में एक नई पहल लेकर सामने आया है—दरगाहों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और गिरजाघरों के आसपास चौपालें आयोजित की जाएंगी। इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय तथा अन्य अल्पसंख्यकों को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता, केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और संविधान के मूल अधिकारों से अवगत कराना है। यह अभियान मोदी सरकार के 11 वर्ष पूरे होने के समारोह से भी जुड़ा हुआ है।

चौपालों के ज़रिए संवाद

चौलाह 11 जून से प्रारंभ होगी। कुंवर बासित अली (यूपी अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष) ने बताया कि इन चौपालों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की वीरता, देशभक्ति और सेना की उपलब्धियाँ हाइलाइट की जाएंगी, और संविधान की पुस्तिका भी वितरित की जाएगी।

महिला नेतृत्व और कर्नल सोफ़िया की भूमिका

पहली चौपाल दिल्ली‑के शाहीदीन बाग में 9 जून को हो रही है, जहाँ कर्नल सोफ़िया की कहानी को प्रेरणास्त्रोत के रूप में पेश किया जाएगा। महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में उन्हें उदाहरण बताया गया है, जिससे मुस्लिम‑महिलाओं को NCC, अज्ञीवीर जैसी योजनाओं में शामिल होने का उत्साह बढ़ सके।

‘अल्पसंख्यकों का पैगाम, मोदी के साथ मुसलमान’ सम्मेलन

– 12 जून से लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में पहला सम्मेलन
– क्षेत्रीय सांसद, विधायक व प्रदेश-स्तरीय नेता मुख्य अतिथि
– उपस्थित शिक्षित वर्ग, समाजसेवी, युवा, वकील शामिल
– मदरसों में उत्कृष्ट विद्यार्थियों और शहीदों के परिजनों को सम्मानित करने की भी व्यवस्था

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और मदरसा कार्यक्रम

– 21 जून को सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के मदरसों में योग‑सत्र
– मदरसा‑स्कूल की ओर से शिक्षक, छात्र‑छात्राएं एवं आसपास के लोग सम्मिलित
– लक्ष्य: शरीरिक स्वस्थता व राष्ट्र‑मूलक चेतना उत्पन्न करना

कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार

चौपालों में आयुष्मान कार्ड, पेंशन योजनाओं की जानकारी भी दी जाएगी। सरकार की निधियाँ, विशेषकर मुस्लिम गरीबों तक पहुँचाने की दर लगभग 40% बताई गई है—यहां तक कि देश में मुस्लिम आबादी लगभग 20% है। इस उपलब्धि को पीएम मोदी की “गरीबों को प्राथमिकता” नीति का प्रतीक बताया गया है।

रणनीतिक उद्देश्य और विपक्ष की प्रतिक्रिया

योजना का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यकों को संवाद के नए ढंग से जोड़ना है—”सिर्फ भाषण नहीं, बल्कि संवाद की जगह”—ताकि उनकी समस्याएं बेहतर तरीके से सामने रखी जा सकें और भाजपा के नेतृत्व तक पहुँच सकें। भाजपा इसे “विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की रिलायबल जानकारी” के रूप में प्रस्तुत कर रही है, जबकि सपा‑बसपा‑कांग्रेस में हलचल तेज हुई है।

भाजपा की यह पहल मुस्लिम‑महिलाओं को सशक्त करने, संविधान‑मूल्यों की जागरूकता बढ़ाने और सरकारी योजनाओं तक अल्पसंख्यक समुदाय की पहुँच सुनिश्चित करने को प्राथमिकता देती है। हालांकि इसमें राजनीति का स्पष्ट रंग भी है—विशेषकर चुनावी तैयारियों की पृष्ठभूमि में। इस प्रचार-रणनीति की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि जनता इसे संवाद के रूप में सीने से लगाएगी या इसे किसी चुनोतियों भरा चुनावी उपकरण मनाएगी।

 

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