योगी सरकार में यह कैसी ‘कानून व्यवस्था’ ? अब BJP नेता को अपनी ही पार्टी से जान का खतरा, लिखाई रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा इन दिनों बाहरी विपक्ष से कम, अंदरूनी ‘अपनों’ से ज़्यादा परेशान नज़र आ रही है। ताज़ा मामला बागपत का है, जहां भाजपा जिलाध्यक्ष वेदपाल उपाध्याय को अपनी ही पार्टी के नेताओं से जान का खतरा महसूस हो रहा है। जी हां, आपने सही पढ़ा—अब भाजपा में ‘अपने’ ही ‘सुरक्षा का मुद्दा’ बन गए हैं।
जब ‘अपना घर’ ही असुरक्षित लगे, तो कहां जाएं भाजपा नेता?
वेदपाल उपाध्याय ने सीधे एसपी बागपत से मिलकर सुरक्षा की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि पार्टी के ही कुछ नेता अब उनके लिए संकट बन गए हैं। पहले तो यही तय नहीं हो पा रहा कि दुश्मन कौन है—विपक्ष या पार्टी का अगला पंक्ति का नेता?
सुरक्षा एक कांस्टेबल की, खतरा कई नेताओं से
जिलाध्यक्ष महोदय को अभी केवल एक पुलिसकर्मी की सुरक्षा मिली है, जो शायद उनके मुताबिक, भाजपा के भीतर के ‘गुटीय जाल’ को संभालने के लिए काफी नहीं है। उन्होंने अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की है ताकि वे पार्टी मीटिंग में भी जान जोखिम में डालकर न जाएं।
भाजपा की “डबल इंजन” सरकार में ‘इनसाइड अटैक’ का खतरा?
यूपी की ‘डबल इंजन’ सरकार दावा करती है कि राज्य में कानून व्यवस्था मजबूत है। लेकिन जब एक सत्तारूढ़ पार्टी का जिलाध्यक्ष ही खुलेआम कह रहा हो कि उसे अपनी ही पार्टी के नेताओं से जान का डर है, तो आम जनता का भरोसा किस पर होगा?
वेदपाल उपाध्याय की पुरानी बहादुरी—CM के रास्ते में घुसने का प्रयास
गौरतलब है कि उपाध्याय पहले भी चर्चाओं में रहे हैं, जब उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन के दौरान वीआईपी रास्ता जबरन पार करने की कोशिश की थी और पुलिस से भिड़ गए थे। इस बार फिर उन्हें उसी ‘राजनैतिक सिस्टम’ से डर लग रहा है, जिससे वो खुद जुड़े हैं।
भाजपा की अंतर्कलह या कुछ और?
यह मामला केवल व्यक्तिगत रंजिश नहीं, बल्कि भाजपा के भीतर की राजनीति और गुटबाज़ी का भी आईना है। यदि पार्टी के जिलाध्यक्ष को ही भीतर से खतरा है, तो सवाल उठता है—क्या भाजपा अब बाहरी विरोधियों से नहीं, अपने ही नेताओं से हारने लगी है?
भाजपा में अब अपने भी ‘गैर’ जैसे
बागपत की यह घटना एक गहरी सच्चाई बयां करती है—जब सत्ता का मोह पार्टी के अंदर ही कटघरे खड़े कर दे, तो फिर न संगठन बचता है, न सम्मान। वेदपाल उपाध्याय की फरियाद भाजपा के लिए सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि उस ‘भीतरी भगदड़’ का प्रमाण है, जो धीरे-धीरे उभर कर सामने आ रही है।