सिर्फ IPO ही नहीं, बाजार में बायबैक की भी बहार है; निवेशकों को बीते पांच साल में मिले लगभग 2 लाख करोड़

मुकुल शास्त्री

देश के शेयर बाजार में सिर्फ IPO की बहार नहीं आई है, बल्कि बायबैक की तेज बौछार भी हो रही है। बीते पांच साल में कंपनियां 304 बायबैक के जरिए 1.98 लाख करोड़ रुपए के शेयर खरीद चुकी हैं। यह इससे पहले के 15 साल में हुए कुल बायबैक से आठ गुना अधिक है। वर्ष 2000 से 2015 के बीच कंपनियों ने 25 हजार करोड़ रुपए शेयर बायबैक किए थे।

सबसे ज्यादा बायबैक 2017 में आए
कोई लिस्टेड कंपनी अपने शेयर शेयरधारकों से खरीदती है तो उसे बायबैक कहते हैं। इसे IPO के उलट माना जा सकता है। बायबैक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंपनी द्वारा खरीदे गए शेयरों का वजूद खत्म हो जाता है। विश्लेषण के मुताबिक, राशि के लिहाज से सबसे अधिक 55,742.83 करोड़ के बायबैक ऑफर 2017 में आए थे।

संख्या के लिहाज से सबसे अधिक 69 बायबैक ऑफर 2019 में आए थे। इनके जरिए कंपनियों ने 43,904.37 करोड़ के शेयर खरीदने की पेशकश की थी और 43,528.39 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर खरीदे थे। मौजूदा समय की बात करें तो फिलहाल पांच कंपनियों के बायबैक ऑफर खुले हैं। इनके जरिए वे 9,679 करोड़ के शेयर खरीदने वाली हैं।

कंपनी और शेयरधारक, दोनों के लिए फायदेमंद
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेस के हेड ऑफ रिसर्च विनोद नायर के मुताबिक शेयर बायबैक कंपनी पर नियंत्रण और प्रोमोटर्स होल्डिंग बढ़ाने में फायदेमंद साबित होता है। कंपनी सरप्लस कैश का बेहतर इस्तेमाल कर पाती है। वहीं, शेयरधारकों के लिए भी ज्यादातर मामलों में यह फायदे का सौदा होता है। उन्हें बाजार भाव से अधिक पैसा मिल जाता है।

कंपनियां क्यों कर रहीं बायबैक?
अच्छे मुनाफे और नए निवेश में कमी के चलते कंपनियों के पास नगदी बढ़ी है। बैलेंस शीट में कैश सरप्लस में होना अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसे में जिन कंपनियों की नई निवेश योजना नहीं है, वे इसे बायबैक के जरिए लौटा रही हैं।

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