मातृभक्ति का अनोखा स्वरूप ! माँ को कंधे पर बैठा कर बिहार से काशी पहुंचा ये बेटा, लोगों ने कहा – ‘श्रवण कुमार’

बिहार के कैमूर जिले से राणा प्रताप सिंह ने अपनी 90 वर्षीय माँ, पिदम्बरा देवी, को कंधे पर उठाकर वाराणसी लाया और पूर्णिमा के पावन अवसर पर उन्हें गंगा नदी में स्नान कराया। यह न सिर्फ एक धार्मिक कृत्य था, बल्कि पुत्र धर्म एवं मानवता की एक प्रबल मिसाल भी था ।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और भावनात्मक प्रेरणा

राणा प्रताप सिंह ने मीडिया से बताया कि उनके पिता का निधन 11 अप्रैल 2025 को हुआ था। इसका गहरा प्रभाव उनके मन पर पड़ा और उन्होंने अपनी माँ की सेवा और श्रद्धा की प्रतिज्ञा की । अपनी माँ को गले लगाकर उन पर चरण पादूका अर्पित की और प्रतिदिन उनको जप-पूजा व श्रद्धापूर्वक सेवा देने का प्रण लिया।

कंधे पर सेवा: परंपरा की उड़ान

बेटे का यह असाधारण कदम जिसमें उन्होंने अपनी 90 वर्षीय माँ को कंधे पर बैठाकर करीब 100 किलोमीटर तय किया—‘कलयुग का श्रवण कुमार’ का जीवंत उदाहरण बन गया । राणा प्रताप ने कहा, “बच्चे माता‑पिता को पानी‑दाना तक नहीं पूछते, माँ रोते‑रोते मर रहीं”, अपनी अविस्मरणीय अपील के माध्यम से उन्होंने पूरे देश को सार्थक संदेश दिया ।

गंगा स्नान: धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

गंगा नदी में स्नान हिंदू धर्म में पापों का क्षय करने और जीवन को शुद्ध करने की असीम साधना माना जाता है। काशी के घाट जैसे पवित्र स्थल विशेष विधि-विधान व उत्साहपूर्ण आरती का केंद्र बनते हैं, खासकर गंगा दशहरा एवं पूर्णिमा के अवसर पर ।

मातृभक्ति की सार्वजानिक मिसाल

राणा प्रताप की इस कृत्यशील सेवा को देखते हुए लोकजनों में वाहवाही रही। यह न केवल बेटे की श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि उस समाज के लिए एक प्रेरक संदेश है जो वृद्धों की उपेक्षा कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया, “हम हिंदुस्तानी हैं… यही इतिहास है श्रवण कुमार का”—जिससे भारतीय संस्कारों पर गर्व की लहर दौड़ती है ।

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