9 साल की बच्ची से दरिंदगी और मौत.. BJP ने कहा – ‘चुप रहो’.. भाजपा प्रवक्ता ने दिया इस्तीफा, तभी एक और नेता..

बिहार के मुजफ्फरपुर में 9 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी और फिर पटना के पीएमसीएच में इलाज न मिलने के कारण उसकी मौत ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। लेकिन इस गंभीर, मानवीय और सामाजिक संकट पर भारतीय जनता पार्टी की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है। जब भाजपा के प्रवक्ता ने आवाज उठाई तो उन्हें चुप करा दिया गया — नतीजतन उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

‘मैं पार्टी की चुप्पी का हिस्सा नहीं’ – BJP प्रवक्ता असित नाथ तिवारी

BJP के प्रदेश प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि जब उन्होंने इस घटना पर सवाल उठाए और पीएमसीएच में लापरवाही को उजागर किया, तो पार्टी नेतृत्व ने उन्हें बोलने से मना कर दिया। तिवारी ने इस फैसले को अनैतिक बताया और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को पत्र लिखते हुए पद से इस्तीफा दे दिया।

“मुझे कहा गया कि पार्टी लाइन से बाहर जाकर कोई बयान न दूं। लेकिन जब एक बच्ची की मौत प्रशासन की संवेदनहीनता और व्यवस्था की हत्या के कारण होती है, तो चुप रहना अपराध है,” — असित नाथ तिवारी

अस्पताल में बेड तक नहीं मिला, एंबुलेंस में तड़पती रही बच्ची

यह घटना केवल एक बलात्कार नहीं, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की विफलता की भी गवाही है। पीड़िता को पटना के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल PMCH में बेड नहीं मिला। उसे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती नहीं किया गया, और वह एंबुलेंस में ही दम तोड़ गई। यह सब उस वक्त हुआ जब सरकार अस्पतालों में सुविधाएं बेहतर होने के दावे करती रही है।

उपेंद्र कुशवाहा ने भी जताई नाराज़गी, नीतीश सरकार को घेरा

वहीं, अब राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट करते हुए नीतीश कुमार से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर PMCH जैसी प्रमुख स्वास्थ्य संस्था में भर्ती की प्रक्रिया में लापरवाही हो रही है, तो विकास के तमाम दावे खोखले साबित होते हैं।

क्या चुनाव से पहले NDA में बढ़ रही दरार?

BJP प्रवक्ता के इस्तीफे और उपेंद्र कुशवाहा की तीखी प्रतिक्रिया ने NDA गठबंधन में अंतर्विरोधों को फिर सतह पर ला दिया है। चुनाव नज़दीक हैं, लेकिन गठबंधन में तालमेल की बजाय सत्ताधारी दल की चुप्पी और दबाव की राजनीति सामने आ रही है। इससे पहले भी कुशवाहा पीएम मोदी की रैलियों में तवज्जो न मिलने और सरकार में अपने लोगों को पद न मिलने पर असंतोष जता चुके हैं।

सवाल यह है कि सत्ता के दल चुप क्यों हैं?

मुजफ्फरपुर में बच्ची के साथ बलात्कार और फिर इलाज के अभाव में मौत ने पूरे बिहार को हिला दिया है। लेकिन सबसे गंभीर सवाल यह है कि इस अमानवीय अपराध पर सत्ता पक्ष के नेता क्यों चुप हैं? और जो बोल रहे हैं, उन्हें चुप क्यों कराया जा रहा है? क्या पार्टी की छवि जनहित से ऊपर हो गई है?

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