अपराधियों का दुस्साहस ! थाने में घुस कर दरोगा की पिटाई और भगा ले गए हत्यारा.. मामला जान हो जाएंगे हैरान

बिहार के भोजपुर जिले में नवादा थाने की पुलिस द्वारा बरिसवन ग्राम में हत्या के प्रयास के आरोपित की गिरफ्तारी के प्रयास पर, स्थानीय भीड़ ने थानेदार सहित पुलिसकर्मियों पर हमला किया और आरोपी को पुलिस की पकड़ से छुड़ा लिया। इस बीच नवादा के दारोगा वाहिद अली भी हल्के तौर पर घायल हो गए।

घटना स्थल और समय

घटना रविवार की देर रात हुई, जब नवादा थाने की पुलिस टीम दारोगा वाहिद अली के नेतृत्व में बरिसवन गांव पहुँची थी। वहाँ हत्या के प्रयास के आरोपी पवन तिवारी को गिरफ्तार करने की कवायद की जा रही थी। अचानक स्थानीय ग्रामीणों ने पुलिस को घेर लिया और जबरन आरोपी को छुड़ा लिया गया।

भीड़ की हिंसक कार्रवाई

भीड़ ने पुलिसकर्मियों सहित दारोगा अली पर हमला किया।

दारोगा वाहिद अली को मामूली चोटें आईं और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ा।

इस घटना के बाद दारोगा ने पूरी वारदात की रिपोर्ट दर्ज करवा दी।

आरोपी की पहचान और पृष्ठभूमि

गिरफ्तार किए जाने वाले आरोपी का नाम पवन तिवारी बताया गया है।

पवन का नाम इसी साल 23 मई की एक और मारपीट मामले में भी सामने आया था, जिसमें विनीत कुमार सिंह पर हमला हुआ था। उसी घटना की जांच में उसका नाम था और तब से वह फरार चल रहा था।

पुलिस की प्रतिक्रिया और कानूनी कार्रवाई

पुलिस ने दारोगा के बयान के आधार पर पवन तिवारी, उसके भाई अमित तिवारी और ग्रामीण उमाशंकर समेत आधा दर्जन लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की।

आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस सघन छापेमारी में जुटी हुई है।

घटना की प्रासंगिकता

यह घटना यह दिखाती है कि पुलिस अंगों के खिलाफ भीड़ की हिंसा रास्ता रोकने जैसे संवेदनशील मामलों में बढ़ती भूमिका रखती है।

एक ऐसे संदिग्ध की गिरफ्तारी नाकाम बनना, जिसके उपर पहले से ही एक गंभीर आरोप (हत्या का प्रयास) हो, व्यवस्था की कमजोरी दिखाता है।

मामले ने फिर से बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर पुलिस की कार्यशैली और सुरक्षा संसाधनों पर ध्यान दे रहा है।

आगे की जांच और अनुमान

पुलिस अब गिरफ्तार आरोपितों से मामले की विस्तृत जानकारी जुटा रही है।

ग्रामीणों की भूमिका और बरिसवन गांव में निहित तनाव की तह तक को खोलने के लिए तफ्तीश तेज की जा रही है।

इस मामले के पीछे की मानसिकता, और अगर सामूहिक मानसिकता या जातिगत दबाव शामिल है, इसकी भी जांच हो रही है।

भोजपुर के बरिसवन गांव में भीड़ द्वारा आरोपी की पुलिस की हिरासत से रिहाई और दारोगा पर हमला यह संकेत करता है कि किस प्रकार कानून-व्यवस्था में चुनौतियाँ सतर्क करती हैं। पुलिस की FIR और तेज छापेमारी इस दिशा में एक सकारात्मक पहल है, परन्तु यह घटना यह भी दर्शाती है कि ग्रामीण हिंसा और भीड़ की ताकत का सामना करने के लिए सिस्टम को और मजबूत बनाना होगा।

 

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