बड़ी खबर : कृषि मंत्री ने फिर किया कानूनों का बचाव, कहा- कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग पर डरने की नहीं जरूरत

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने एक बार फिर तीनों नए कृषि कानूनों (New farm Laws) का बचाव करते हुए कहा कि हमारी मंशा तो किसानों को मंडी की बेड़ियाें से आजादी दिलाने और अपना उत्पाद बेचने को खुला बाजार मुहैया कराने की है। लेकिन कुछ किसान इससे सहमत नहीं है, तो हर मुद्दे पर सरकार उनकी बात सुनने को तैयार है।

तोमर ने किसानों से आंदोलन का रास्ता छोड़ चर्चा पर राजी होने की अपील की है। केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को भेजेगा 19 पन्नों के लिखित मसौदा प्रस्ताव को किसानों की ओर से खारिज किए जाने के बाद गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रस्ताव के सभी बिंदुओं पर अपनी बात रखी।

सरकार चर्चा से निकालना चाहती है हल

उन्होंने कहा कि किसान कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, हम कह रहे हैं कि कानून में कहां दिक्कत है, उसे बताएं और हर बिंदु पर चर्चा करें। सरकार उनकी शंका को दूर करने और उनके सुझावों के अनुसार संशोधन के लिए तैयार है, लेकिन अफसोसजनक स्थिति यह है कि किसानों की ओर से अब तक खुलकर कोई मुद्दा ही नहीं चर्चा में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार लिखित में देने का आश्वासन दे चुकी है।

एमएसपी को कमजोर करने की किसानों की शंका पर सरकार साफ कर चुकी है कि पुरानी व्यवस्था में कोई तब्दीली नहीं की है, बल्कि किसानों को मंडियों की बेड़ियों से आजादी दिला कर उन्हें अपना उत्पाद वाजिब दाम पर बेचने का ज्यादा से ज्यादा विकल्प मुहैया करवा रही है। इसका मकसद एक तरह से खुला बाजार उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि नए कानून में किसी भी व्यक्ति के उत्पाद खरीदने के बारे में किसानों की जो भी आशंका है उस पर साफ किया जा चुका है कि इसके लिए राज्य सरकार अपने स्तर पर नियम बनाएं, रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू करें इसी तरह प्राइवेट मंडियों के लिए भी सरकार नियम बनाएं और जरूरत के मुताबिक उन पर भी लागू करें करने के लिए स्वतंत्र होगी।

उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर किसानों की आशंका निर्मूल है। मौजूदा वक्त में भी पंजाब, हरियाणा, गुजरात जैसे राज्यों में होती है। ऐसा कोई उदाहरण सामने नहीं आया है कि किसी किसान की जमीन छीन ली गई। उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में केवल फसलों का प्रावधान किया गया है ना कि जमीन का, इसीलिए जमीन कुर्क होने की आशंका बुनियादी है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों में विवाद की स्थिति में एसडीएम स्तर पर 30 दिन में समाधान की व्यवस्था दी गई है। लेकिन किसान चाहते हैं कि उन्हें कोर्ट जाने की व्यवस्था दी जाए तो सरकार इस पर भी राजी है।

14 दिसंबर को आंदोलन तेज करने की तारीख को सरकार ने किसानों को भेजा था जिसमें उनके हर शंकाओं को दूर करने का प्रयास किया गया था। उन्होंने किसानों से अपील की कि आंदोलन का रास्ता छोड़ और सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करें जो भी आशंका है उस पर चर्चा करें सरकार हर वक्त चर्चा के लिए तैयार है।

 

 

कृषि मंत्री तोमर ने एक बार फिर अपील की है कि किसान आंदोलन छोड़कर बातचीत करें। आंदोलन से जनता को भी परेशानी होती है इसलिए उन्हें जनता के हित में आंदोलन छोड़ना चाहिए और बातचीत से हल निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान भाइयों ने अब तक आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाकर रखा है लेकिन अब उन्हें आंदोलन खत्म कर बातचीत से हल निकालने का प्रयास करना चाहिए।

 

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