इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला कहा- पत्नी के होते हुए अनुकम्पा की नियुक्ति का बहन को नहीं मिल सकता लाभ!

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शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकम्पा को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी के होते हुए अनुकम्पा की नियुक्ति का लाभ बहन को नहीं मिल सकता है। अनुकम्पा नियुक्ति पर पहला अधिकार पत्नी का होगा। न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने कहा कि बहन अपने भरण पोषण के लिए अन्य नियमों के तहत दवा कर सकती है।

गौरतलब है कि न्यायालय ने यह आदेश कानपुर की मोहिनी कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है। मोहिनी मृतक भाई की बहन है। मोहिनी के मुताबिक उसके पिता नगर निगम कानपुर में सफाई कर्मचारी थे, जिनकी नौकरी के दौरान ही मृत्यु हो गयी थी। बाद में वो नौकरी अनुकम्पा के तौर पर भाई को मिल गयी थी। अब भाई की भी मृत्यु हो गयी है। पूरा परिवार भाई पर ही निर्भर था, जिसके बाद अब अनुकम्पा नियुक्ति के तौर पर उसे नौकरी दी जनि चाहिए। उसने बताया की दिसम्बर 2021 में उसने इस मामले में नगर निगम कानपुर के समक्ष अपना प्रत्यावेदन भी दिया है।

अब कोर्ट ने कहा है की चूँकि भाई की शादी हो चुकी थी। तो यह अधिकार पहले उनकी पत्नी को है। उसकी पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति का दावा पहले ही कर रखा है। जिसके अब बहन के द्वारा की जा रही अनुकंपा नियुक्ति की मांग सही नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में याचिका ख़ारिज कर दी है।

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