रियल लाइफ ‘Panchayat’ में भी भिड़ गए विधायक-सचिव ! फोन कॉल Audio हुई वायरल

बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है, जब राजद (RJD) के मनेर से विधायक भाई वीरेंद्र और एक पंचायत सचिव के बीच हुई बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस तीन मिनट के कॉल में विधायक ने पंचायत सचिव को “जूते से मारने” की धमकी दी, तो सचिव ने भी जवाब में साफ कहा, “अगर टेढ़ी भाषा में बोलोगे, तो वैसा ही जवाब मिलेगा।” यह वायरल ऑडियो आम जनता के बीच सोशल मीडिया पर ‘रियल लाइफ पंचायत वेब सीरीज’ जैसा बन गया है।
विधायक ने किया फोन, सचिव ने नहीं पहचाना
वायरल ऑडियो क्लिप के अनुसार, विधायक भाई वीरेंद्र ने रिंकी देवी के पति अविनाश कुमार के मृत्यु प्रमाण पत्र के आवेदन पर जानकारी लेने के लिए संबंधित पंचायत सचिव को कॉल किया। लेकिन सचिव ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया। इससे नाराज़ होकर विधायक ने कहा,
“पूरा हिंदुस्तान जानता है भाई वीरेंद्र को, तुम इंग्लैंड से हो क्या?”
इसके बाद उन्होंने धमकी दी,
“प्रोटोकॉल नहीं मानेगा रे! खींचकर जूते से मारेंगे।”
सचिव का जवाब: सम्मान की उम्मीद, डर नहीं
ऑडियो में सचिव ने विधायक को बिना डरे जवाब दिया:
“हम भी अधिकारी हैं। आप प्रेम से बात करेंगे तो हम भी प्रेम से बात करेंगे। लेकिन अगर टेढ़ी भाषा में बोलेंगे तो उसी भाषा में जवाब देंगे।”
सचिव ने बताया कि वह काम कर रहे हैं और बात करने का तरीका महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने राजनीतिक दबाव को दरकिनार करते हुए अपने कर्तव्य पर ध्यान देने की बात कही।
ऑडियो वायरल: सोशल मीडिया पर पंचायती अंदाज़ की चर्चा
इस कॉल क्लिप के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे ‘पंचायत वेब सीरीज’ की याद दिलाने वाला करार दिया। ट्विटर और फेसबुक पर यूजर्स ने कहा कि सचिव जी ने जैसे सीरीज में होता है, वैसे ही “विधायक जी” को जवाब दिया। कुछ ने लिखा, “ये रियल पंचायत है, जहां सचिव झुका नहीं”।
https://twitter.com/iamnarendranath/status/1949662940124299337
भाई वीरेंद्र का सियासी इतिहास: विवादों से नाता पुराना
भाई वीरेंद्र बिहार विधानसभा में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वे मनेर सीट से RJD विधायक हैं और अपने विवादित बयानों व व्यवहार के कारण चर्चा में रहते हैं। इससे पहले भी विधानसभा में उन्होंने कहा था,
“सदन किसी के बाप का नहीं है।”
उन्होंने कई बार प्रोटोकॉल तोड़ने, स्पीकर की कुर्सी पर चढ़ने और हंगामे के लिए सुर्खियां बटोरी हैं।
क्या जनप्रतिनिधि की यह भाषा उचित है?
यह विवाद एक गंभीर नैतिक प्रश्न उठाता है—क्या एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि को इस प्रकार की भाषा में धमकी देनी चाहिए? क्या यह प्रशासनिक पदों पर बैठे कर्मचारियों को डराने का प्रयास है? सचिव का जवाब इस बात को स्पष्ट करता है कि लोकतंत्र में केवल पद ही नहीं, बल्कि व्यवहार और मर्यादा भी जरूरी हैं।