B’day Spl: कुछ ऐसा था रजनीकांत का एक बस कंडक्टर से थलाइवा बनने तक का सफर

नई दिल्ली : बस कंडक्टर से अपनी जिंदगी की शुरुआत करने वाले साउथ के भगवान रजनीकांत (Rajinikanth) आज अपना 71 जन्मदिन मना रहे हैं। सिर्फ साउथ ही नहीं बॉलीवुड में भी कई सितारे उनके फैन है। इतना ही उनसे बहुत प्यार भी करते हैं। उनके इस खास दिन पर आज हम आपको उनकी लाइफ की उस जर्नी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने उन्हें साउथ का भगवान बनाया।

बचपन में सहीं असहनीय मुश्किलें

एक पुलिस कांस्टेबल के परिवार में जन्में रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु में हुआ था। उन्हें बचपन सभी लोग शिवाजी राव गायकवाड़ कहते थे। रजनीकांत ने एक मीडिल क्लास परिवार में जन्म लिया था जिसके कारण उन्हें अहसास था कि उन्हें हर रोटी के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। अभी रजनीकांत का बचपन शुरु ही हुआ था कि उनकी मां जीजाबाई की मौत हो गई।

आमदनी के लिए बन गए कुली

मां के निधन के बाद उन्होंने अपने परिवार का सहारा बनने की ठानी और कुली का भी काम शुरु किया। इनता ही नहीं उसके बाद उन्होंने बस में कंडक्टर की नौकरी भी की लेकिन बचपन से ही फिल्मों के शौकीन रजनीकांत को एक्शन पसंद था। परिवार की हालत देखकर वो काम तो कर रहे थे लेकिन उनका मन फिल्मों की तरफ था।

इस फिल्म से की करियर की शुरुआत

बैंगलुरु ट्रांसपोर्ट सर्विस में बतौर बस कंडक्टर काम के दौरान ही उन्होंने ठाना कि वो अपने सपने को नई ऊचाईयां देंगे और उन्होंने कन्नड़ रंगमंच में भी काम शुरू किया। यहां पर अपने अभिनय को सुधारने के बाद उन्होंने साल 1973 में वो मद्रास फ़िल्म इंस्टीट्यूट का दामन थाम लिया। वो कहते है ना कि मेहनत रंग लाती है। अपनी कड़ी मेहनत के बाद 25 साल की उम्र में रजनीकांत सबसे पहला काम मिला। वो फिल्म थी ‘अपूर्वा रागांगल’ हालांकि इस फिल्म में रजनीकांत लीड रोल में नहीं थे। इस फिल्म में उन्होंने कमल हासन के साथ काम किया था। इसके बाद ही उन्होंने 1978 में रिलीज तमिल फिल्म ‘भैरवी’ में मुख्य भूमिका निभाई थी।

 

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