बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद से दिया इस्तीफा, EWS कोटे से हुई थी भर्ती

लखनऊ. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश द्विवेदी (Basic Education Minister Dr Satish Dwivedi) के भाई डॉ अरुण द्विवेदी (Dr Arun Dwivedi) ने सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी (Siddhartha University) में मनोविज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया है. डॉ अरुण द्विवेदी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से त्यागपत्र दिया है. गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री के भाई की गरीब कोटे से नियुक्ति की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुयी थी. जिसके बाद राजभवन ने  मामले का संज्ञान लिया था. नियुक्ति के बाद यह बात चर्चा में थी कि शिक्षा मंत्री ने  रसूख का इस्तेमाल करते हुए भाई की नियुक्ति ईडब्लूएस कोटे से करवाई है.

मामला सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी से लेकर तमाम विपक्षी दलों ने शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के इस्तीफे की मांग करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी थी. हालांकि सतीश द्विवेदी ने पूरे प्रकरण से खुद को दूर रखने की भी कोशिश की थी. बुधवार को सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति ने इस बात की पुष्टि कि डॉ अरुण द्विवेदी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है.

उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री का कार्यभार संभाल रहे डॉ सतीश द्विवेदी के भाई डॉ अरुण द्विवेदी का सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति इन दिनों लोगों के बीच चर्चा का विषय बानी हुई है. सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट के मुताबिक मंत्री के भाई की नियुक्ति गरीब कोटे से हुई. इस पोस्ट पर लोग जमकर चुटकी भी ले रहे थे. साथ ही नियुक्ति पर सवाल भी उठा रहे थे.

अरुण द्विवेदी की पत्नी भी हैं असिस्टेंट प्रोफेसर
अरुण द्विवेदी की पत्नी डॉ.विदुषी दीक्षित मोतिहारी जनपद के एमएस कॉलेज में मनोविज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. पत्नी की सैलरी 70 हजार से ज्यादा है. अरुण द्विवेदी खुद वनस्थली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर तैनात थे. वहां से इस्तीफा देकर उन्होंने सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में ज्वाइन किया था.

2019 में जारी हुआ था ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र 

अरुण द्विवेदी का ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र 2019 में जारी हुआ था. इस पर उन्हें 2021 में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में नौकरी मिली। इस संबंध में डीएम दीपक मीणा ने बताया कि 2019-20 के लिए ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र जारी किया गया था, जो मार्च 2020 तक मान्य था.

गरीब कोटे से नियुक्ति सोशल मीडिया पर बनी थी चर्चा का विषय

दरअसल, डॉ अरुण द्विवेदी की नियुक्ति के बाद सोशल मीडिया पर यह बात जमकर हुई थी कि मंत्री के भाई की गरीब कोटे से नियुक्ति हुई है. इस पोस्ट को कई सारे लोगों ने शेयर तो किया ही, इसके साथ ही फेसबुक पर तरह तरह के कमेंट भी करने लगे. सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी के कोटे में नियुक्ति होना लोगों के मन में कई तरह के सवाल पैदा कर रहा था. सिद्धार्थनगर जिले इटवा तहसील से विधायक डॉ सतीश द्विवेदी के भाई डॉ अरुण द्विवेदी गत शुक्रवार को ही सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में ज्वाइन किए थे. उनके ज्वाइन करने के बाद से ही सोशल मीडिया पर तरह तरह की पोस्ट वायरल होने लगी थी.

कुलपति ने कही थी ये बात

सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे से बात करने पर उन्होंने बताया कि मनोविज्ञान में लगभग डेढ़ सौ आवेदन आए थे. मेरिट के आधार पर 10 आवेदकों का चयन किया गया. इनमें अरुण कुमार पुत्र अयोध्या प्रसाद भी थे. इन्हीं 10 लोगों का इंटरव्यू हुआ तो अरुण दूसरे स्थान पर रहे. इंटरव्यू एवं एकेडमिक तथा अन्य अंको को जोड़ने पर अरुण पहले स्थान पर आए. इस वजह से इनका चयन हुआ है. ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र प्रशासन जारी करता है. शैक्षिक प्रमाण पत्र सही था. इंटरव्यू की वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है. सोशल मीडिया के माध्यम से मुझे जानकारी हुई कि वह मंत्री जी के भाई हैं. अगर ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र फर्जी हुआ तो वह निश्चित रूप से दंड के भागी हैं.

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