Shocking: 5वीं के बच्चे ने साथी छात्र पर चलाया चाकू, स्कूल ने डांटा तो घर से ले आया तमंचा-कारतूस

बागपत के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में बुधवार सुबह एक फिल्टर से बाहर की घटनाक्रम सामने आया। स्कूल के 5वीं कक्षा के छात्र ने अपने साथी छात्र पर चाकू से हमला किया, क्योंकि वह होमवर्क नहीं दिखा पाया। यह हमला इतना तेज था कि आंख के नीचे चोट आई, और बाद में हमलावर छात्र जबरदस्त धमकी देकर वापस आया, जिसके कारण पूरा स्कूल दहशत में आ गया।
होमवर्क न देने पर चाकू से हमला
घटना प्राथमिक विद्यालय संख्या 4, छपरौली में तब हुई जब कक्षा 5 के दो बच्चों में होमवर्क को लेकर बहस हो गई। इस पर एक छात्र ने अपने बैग से चाकू निकाला और चाकू लगाने को ही आलम था कि पीड़ित छात्र की आंख के नीचे चोट पहुंची। इससे कक्षा में अफरा-तफरी मच गई।
टीचर ने भेजा घर, फिर स्कूल ले आया तमंचा
घटना के बाद क्लास टीचर ने हमलावर छात्र को डांटते हुए उसे परिजनों को बुलाने के लिए घर भेज दिया। लेकिन छात्र परिवार को ना बुलाकर, देशी तमंचा और दो कारतूस लेकर वापस स्कूल पहुंच गया। उसने टीचर और अन्य स्टाफ को गोली मारने की धमकी दी, जिससे पूरे स्कूल में दहशत फैल गई।
स्कूल स्टाफ ने किया काबू
टीचर और स्कूल स्टाफ ने हिम्मत दिखाई और छात्र को काबू कर तमंचा-कारतूस और चाकू छीन लिया। इसी दौरान छात्र भाग निकला। घटना इतनी तेज थी कि किसी को कुछ समझ भी नहीं आया, किंतु इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई और पीड़ित छात्र के पिता ने भी केस दर्ज कराया ।
स्कूल प्रशासन की प्रतिक्रिया और जांच
इस गंभीर घटना पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका अमृता ने कहा कि वह तीन जुलाई से मेडिकल अवकाश पर हैं और उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। घटना की सूचना मिलने पर छपरौली BEO ब्रजमोहन ने इसे गंभीर माना है और वह जल्द ही कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
सोशल संदर्भ और चिंता
अक्सर हम ऐसी घटनाओं को सुनते हैं जो स्कूलों में बच्चों के बीच बढ़ते तनाव, मशीनीकरण और हिंसा की ओर इशारा करती हैं। यह केस यह दर्शाता है कि:
- बच्चों में तानाशाही रवैया और हत्या तक की प्रवृत्ति क्यों बढ़ रही है।
- स्कूलों में सुरक्षा प्रबंधन, मानसिक स्वास्थ्य और अनुशासन की क्या स्थिति है?
- क्या यह घटना सिर्फ जूनून की या संवेदनशीलता की कमी की निशानी है?
बागपत की यह घटना झकझोरने वाली है — एक छोटा बच्चा चाकू और तमंचा लेकर स्कूल आ सकता है, यह सोच भी डरावनी है। प्रशासन को चाहिए कि वह स्कूली वातावरण में सुरक्षा-चेक और काउंसलिंग की व्यवस्था करे, बच्चों को मानसिक समर्थन दे और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करे कि ऐसी घटनाओं से कैसे निपटें।