बगहा पंचायत चुनाव में बदलाव की बयार:एक ही परिवार के दादा, पोता व बहू ही बनते थे मुखिया, इस बार 73 साल की परंपरा टूटी

मारकंडेश्वर सिंह, गायत्री देवी और अमरेश्वर सिंह उर्फ अमर बाबू। (फाइल)

बगहा की सलहा बरियरवा पंचायत में 73 साल से एक ही परिवार के लोग मुखिया बन रहे थे, लेकिन चौथे चरण में हुई वोटिंग ने इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया। इस बार मुखिया पद पर अमित वर्मा जीते हैं। वहीं, मार्कंडेय सिंह के पोते अमरेश्वर सिंह इस बार न सिर्फ चुनाव हार गए, बल्कि तीसरे स्थान पर रहे। शुक्रवार देर रात जब परिणाम आया, तो हर ओर यही चर्चा हो रही थी। 1948 से मार्कंडेय सिंह के परिवार का पंचायत में मुखिया पद पर वर्चस्व था, जो इस बार खत्म हो गया।

मुखिया पद पर जीते प्रत्याशी अमित वर्मा।

1948 में मार्कंडेय सिंह ने मैनेजर को किया खड़ा, वह निर्विरोध जीत गए

बगहा-1 प्रखंड की सलहा बरियरवा पंचायत 1948 में वजूद में आई। यहां पर मुखिया बनाने की बारी आई। मार्कंडेय सिंह बड़े जमींदार थे। उनका संबंध बड़गांव स्टेट से था। यू कहें तो यह स्टेट इनके ही नाम से जाना जाता था। इस स्टेट के बारे में चंपारण गजट में भी लिखा गया है। मार्कंडेय सिंह ने अपने मैनेजर सूर्यनारायण सिंह को चुनाव में खड़ा किया। सूर्यनारायण सिंह निर्विरोध चुनाव जीत गए। इसके बाद लगातार 1964 तक वह मुखिया रहे। साथ ही मार्कंडेय सिंह का सभी काम की देखरेख भी वही करते थे।

1964 से 2001 तक मार्कंडेय सिंह रहे मुखिया

1964 में त्रिस्तरीय पंचायतों का गठन हुआ। इसके बाद स्वयं मार्कंडेय सिंह यहां से चुनाव लड़े। उस समय भी इस पंचायत से कोई भी प्रत्याशी इनके विरोध में खड़ा नहीं हुआ। चुनाव से पहले ही पूरी पंचायत के लोगों ने इनको मुखिया मान लिया। 1964 से 1976 तक लगातार निर्विरोध मुखिया रहे। 1976 के बाद चुनाव न होने के करण जिला परिषद एवं पंचायत समितियां स्वतः भंग हो गईं। केवल ग्राम पंचायतें ही कार्यरत रहीं। पूरे राज्य में फिर से 1978 में ग्राम पंचायतों का, 1979 में पंचायत समितियों का और 1980 में जिला परिषदों का चुनाव हुआ। ये सभी पंचायतें 5 वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद भी बिना चुनाव के बने रहे। यह स्थिति सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 24 फरवरी 1997 से समाप्त हुई। तब से लेकर 2001 की चुनाव तक यही स्थिति बनी रही। ये 2001 तक मुखिया बने रहे।

2001-06 तक पोता, 2006-16 तक बहू रहीं मुखिया

2001 में पंचायत चुनाव हुआ। इसमें मार्कंडेय सिंह के पोता अमरेश्वर सिंह उर्फ अमर बाबू अपने प्रतिद्वंद्वी को हराकर मुखिया बने। 2001 से 2006 तक वह मुखिया पद पर बने रहे। 2006 में परिसीमन के बाद सलहा-बरियरवा पंचायत सीट सामान्य महिला हो गया। इसके बाद इस पंचायत में मार्कंडेय सिंह की बहू गायत्री देवी चुनाव लड़ीं। इसके साथ अन्य प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में आए, लेकिन जनता ने सबको नकारते हुए गायत्री देवी को चुनाव जीता दिया। 2006 से 2011 तक वह मुखिया रहीं। 2011 में वह दोबारा जीतीं और 2016 तक मुखिया रहीं।

2016 में फिर पोते अमरेश्वर सिंह बने मुखिया

पंचायत चुनाव 2016 में परिसीमन फिर से बदला। संयोगवश यह पंचायत सामान्य पुरुष हो गया। फिर एक बार अमरेश्वर सिंह उर्फ अमर बाबू ने पर्चा दाखिला किया। इस बार भी जनता ने चुनकर उन्हें मुखिया बना दिया, लेकिन 2021 में बदलाव की ऐसी लहर चली कि परिवार को हार का सामना करना पड़ा।

Related Articles

Back to top button