बसताड़ा टोल लाठीचार्ज को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई:अदालत ने कहा

अब याचिका का कोई औचित्य नहीं, हरियाणा सरकार पहले ही मामले की जांच रिटायर्ड जस्टिस को सौंप चुकी है

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट – फाइल फोटो

करनाल में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसानों के सिर फोड़ने के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के आदेश से जुड़ी याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। यह याचिका करनाल के मुनीष लाठर और पांच अन्य लोगों ने दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि याची ने याचिका दायर कर मांग की थी कि पूरे प्रकरण की जांच करने के लिए रिटायर्ड जज को जांच सौंपी जाए। हरियाणा सरकार ने पूरे प्रकरण की जांच पहले ही रिटायर्ड जस्टिस एसएन अग्रवाल को सौंप कर उसकी मांग पूरी कर दी है। याची की मांग पूरी हो गई। जिसके कारण इस याचिका का अब कोई औचित्य नहीं है। यह कहकर कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।

वहीं हरियाणा सरकार ने याचिका पर हाईकोर्ट को बताया कि वह मामले में रिटायर्ड जज को पूरे मामले की जांच सौंप दिया है।पिछली सुनवाई पर हरियाणा सरकार की ओर से करनाल रेंज की आईजी ममता सिंह ने अदालत में हलफनामा दाखिल किया था। आज उसी पर सुनवाई हुई है। पिछली सुनवाई पर हरियाणा सरकार की ओर से करनाल रेंज की आईजी ममता सिंह ने अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा था कि करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के इशारे पर बसताड़ा टोल प्लाजा पर लाठीचार्ज कर किसानों के सिर फोड़ने का आरोप निराधार है। एसडीएम घटनास्थल से 13 किलोमीटर दूर करनाल शहर में थे और जिन पुलिसवालों को सिन्हा निर्देश दे रहे थे, उनमें से कोई भी बसताड़ा टोल प्लाजा पर नहीं था।

ममता सिंह ने अदालत को बताया था कि लाठीचार्ज वाले दिन याचिकाकर्ता मुनीष कुमार ने पुलिसकर्मी पर कस्सी से वार करना चाहा तो उसी चक्कर में असंतुलित होकर खुद ही गिर पड़ा जिससे उसके सिर पर चोट लगी। जिस पुलिसकर्मी पर उसने कस्सी से वार किया, उसी ने उसे प्राथमिक चिकित्सा सहायता दी। ऐसे में यह कहना कि पुलिस की लाठी से याचिकाकर्ता के सिर पर चोट लगी, गलत है।

प्रदर्शनकारियों पर ही उठाए सवाल
आईजी ने हलफनामे में विरोध-प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के अलग-अलग आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि विरोध प्रदर्शन हर किसी का अधिकार है लेकिन उस विरोध प्रदर्शन से आम लोगों को नुकसान नहीं होना चाहिए। सड़कें नहीं रोकनी चाहिए जबकि कई महीनों से सड़कें अवरुद्ध हैं। यह सीधे-सीधे सर्वोच्च अदालत के आदेश का उल्लंघन है। सड़क बंद करने वाले यह भी नहीं देख रहे कि इसकी वजह से कितने लोग अपने परिवारों के साथ हाईवे पर फंस गए और उन्हें कितनी परेशानी का सामना करना पड़ा।

याची ने अफसरों के खिलाफ रिटायर्ड जज से जांच की मांग की थी
करनाल के मुनीश लाठर सहित 5 लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा ने प्रदर्शनकारियों के सिर फोड़ने के आदेश पुलिस को दिए। यह आदेश सीधे तौर पर किसानों के संवैधानिक और मौलिक अधिकारों का हनन है। एसडीएम के आदेश के बाद ही किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। जिसमें कई किसानों को गंभीर चोटें आईं। याचिका में अपील की गई थी कि इस प्रकरण के दोषी एसडीएम आयुष सिन्हा, करनाल के डीएसपी वरिंदर सैनी और इंस्पेक्टर हरजिंदर सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज से जांच करवाकर इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। जिसमें हरियाणा सरकार ने रिटायर्ड जस्टीस एसएन अग्रवाल को सौंप कर उसकी मांग पूरी कर दी है।

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