अतीक का अंत अतीत में मिला आखिर कैसे और क्यों? जानें पूरी कहानी

उत्तर प्रदेश में कई माफियाओं की तरह ही अतीक अहमद ने भी जुर्म की दुनिया से सियासत की दुनिया का रुख किया था। पूर्वांचल और इलाहाबाद में सरकारी ठेकेदारी, खनन और उगाही के कई मामलों में उनका नाम आया। 1979 की है जब 17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर कत्ल का इल्जाम लगा था, उसके बाद अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अतीक अहमद और उसके परिवार के बारे में जाने से पहले यह कुछ पंक्तियां हैं जो आज के दौर बार हर किसी को समझना जरूरी बन जाता है पंक्तियां कुछ यूं हैं–

जलते घर को देखने वालों फूस का छप्पर आपका है                                 

आपके पीछे तेज़ हवा है आगे मुकद्दर आपका है                                                                                                               

उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया                       

मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है अगला नम्बर आपका है।

अतीक अहमद का जन्म इलाहाबाद अब प्रयागराज स्थित चाकिया नामक मोहल्ले में सन 10 अगस्त 1962 हुआ था। इनके पिता फिरोज अहमद तांगा चलकर परिवार को चलते थे। वो हाईस्कूल में ही फेल हो गया।अतीक के पिता इलाहाबाद स्टेशन पर तांगा चलाया करते थे लेकिन रातों-रात अमीर बनने का चस्का अतीक के पिता और अतीक को किसी भी हद तक ले जाने वाला था। अतीक अहमद पर 17 साल की उम्र में ही पहली हत्या का केस दर्ज हो गया था। बाहुबली अतीक अहमद बेहद ही गरीब परिवार से आते हैं इनके पिता रेलवे स्टेशन में तांगा चलाया करते थे।अतीक ने 1996 में शाइस्ता परवीन से शादी की, उसके बाद इन्होने पांच बेटों को जन्म दिया मोहम्मद असद, मोहम्मद अहजम, मोहम्मद उमर, मोहम्मद अली और मोहम्मद आबान है।

इन सभी के ऊपर भी गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड हैं, इनमें से 2 बेटे अभी भी जेल में बंद हैं। अमीर बनने के शौक ने अतीक नए अपराध की दुनिया में कदम रखा। अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन इसी साल 2023 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुई हैं।उम्र बढ़ने के साथ-साथ अतीक के अपराध की दुनिया के भी हाथ बढ़ने लगा। इनके ऊपर हत्या, अपहरण, जमीनी कब्ज़ा, पुलिस के साथ मारपीट, शांति व्यवस्था भंग करने, सरकारी काम में बाधा जैसे कई आरोप शामिल है। अतीक अहमद के खिलाफ के 80 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जो उत्तरप्रदेश के अलग-अलग जिलों और बहरी राज्य में भी हैं।

17 साल की उम्र में जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही अतीक अहमद के खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज और वो भी हत्या का, साल 1979 में महज 17 साल की उम्र में अतीक पर कत्ल का इलजाम लगा उसके बाद जुर्म जैसे अतीक का शक्ल बन गया, इसके बाद अतीक ने कभी भी पीछे मुड़कर नही देखा। पढ़ाई के पन्ने तो कोरे थे लेकिन साल दर साल उसके जुर्म की किताब भरती जा रही थी।कभी इलाहाबाद की गलियों में चांद बाबा का खौफ हुआ करता था जिसके सामने जाने से पुलिस भी कांपती थी, तब अतीक की उम्र यही करीब 20-22 साल हुआ करती थी, पुलिस चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहती थी इसलिए अतीक को सियासी और पुलिसीया दोनों का श्रय मिला।1986 आते-आते अतीक गैंग खुंखार हो चुका था, चांद बाबा के गैंग से भी ज्यादा खूंखार, फिर एक दिन अतीक को पुलिस उठाकर ले गई, तब उत्तरप्रदेश में वीर बहादुर सिंह की सरकार थी और दिल्ली में प्रधानमंत्री थे राजीव गांधी। दिल्ली से अचानक फोन आया और उत्तरप्रदेश पुलिस अतीक को घर तक छोड़ गई, अतीक ने चांद बाबा की गैंग को एक-एक करके खत्म कर दिया।

1987 आते-आते अतीक को पता चल गया गया था कि जुर्म की दुनिया का बादशाहत बरकरार रखनी है तो राजनीति की छाव में जाना ही पड़ेगा, अतीक को समझ आ चुका था कि सता की ताकत से वो क्या-क्या कर सकता है।अतीक अहमद 1991 और 1993 में फिर से इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव जीत गया। साल 1992 में जब पुलिस ने अतीक का कच्चा चिट्ठा खोला तो देखने वालों की आंखे फटी की फटी रह गई यानि 30 साल की उम्र तक अतीक के खिलाफ 44 मामले दर्ज हो चुके थे।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कोशाम्बी, चित्रकूट व इलाहाबाद में कई मामले दर्ज थे, अतीक के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले इलाहाबाद में दर्ज हुए, उसके जुर्म का किस्सा उत्तर प्रदेश से बाहर निकलकर बिहार तक चला गया, बिहार में भी अतीक के खिलाफ हत्या, फिरौती व अन्य गैंगस्टर के मामले दर्ज हुए|

1996 आते-आते समाजवादी पार्टी ने अतीक का अपना कोहिनूर बना लिया अतीक फिर चुनाव जीत गया, हर चुनाव के बाद अतीक का बाहुबल का परचम और तेज लहराने लगा। 1999 में अतीक ने दल बदला और अपना दल में शामिल हो गया, फिर वो पांचवी बार विधायक बन बैठा, महंगे और लग्जरी गाड़ियां, अत्याधुनिक हथियार यह अतीक अहमद के सबसे बड़े शौक बन गए।
4000 वोटों से जीत हासिल करने वाले समाजवादी पार्टी के राजू पाल कभी अतीक का दाहिना हाथ हुआ करता था, अतीक अपने भाई की हार से इतना बौखला गया उसने 25 जनवरी 2005 को राजू पाल को 19 गोलियों से भून डाला, इसके बाद से ही अतीक का बुरा दौर शुरू हो गया।

2007 के विधानसभा चुनाव में अतीक का भाई इलाहाबाद सीट से फिर से चुनाव हार गया, समाजवादी पार्टी ने अतीक का बाहर कर दिया और अतीक के खिलाफ तत्कालीन मायावती की सरकार ने ऑपरेशन अतीक शुरू किया।

सांसद रहते हुए अतीक के खिलाफ पूरे देश में नोटिस जारी हुआ, अतीक दिल्ली से गिरफ्तार हुआ और जेल में डाल दिया गया। 2012 में अतीक ने अपना दल से चुनाव लड़ने की तैयारी की उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बेल की अर्जी डाली लेकिन कोर्ट के 10 जजों ने उसका मामला सुनने से खुद को अलग कर लिया, 11वें जज तैयार हुए और अतीक को जमानत दे दी गई।अतीक इलाहाबाद की सीट से पूजा पाल के खिलाफ फिर से मैदान में उतरा लेकिन हार गया, 2016 में अतीक अहमद को कानपूर कैंट से उम्मीदवार के रूप में उतारा गया तो खुशी के मारे 500 लग्जरी गाड़ियों के काफिले के साथ अतीक कानपुर पहुंच गया, वो खुद 8 करोड़ की हमर गाड़ी में सवार था।14 दिसंबर 2016 को अतीक और उसके गैंग के गुंडों पर इलाहाबाद की काॅलेज में तोड़ फोड़ और मारपीट का मामला दर्ज हुआ, कहते है ना की पाप की कहानी का अंत एक ना एक दिन जरूर आता है।2017 में योगी सरकार आई और उसने एक के बाद एक अतीक की सभी पुरानी फाइलों को खुलवाना शुरू कर दिया और अतीक के खिलाफ कई मामलों की जांच सीबीआई को दे दी गई, और अतीक के लंका की बर्बादी योगी ने अपने हाथ से लिख डाली, 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतीक की जमानत याचिका रद्द कर दी और तब से अतीक के लिए काला दौर प्रारंभ हो गया तब से अतीक जेल में बंद है और उसकी संपत्तियां खाक में मिल गई।

कुछ दिनों पहले अतीक गैंग कें गुर्गो ने गवाह उमेश पाल की हत्या कर दी गई जिसके बाद से यूपी पुलिस ने एक के बाद एक गुर्गे का एनकाउंटर करना प्रारंभ कर दिया। उमेश पाल हत्याकांड में शामिल 2 शूटर्स को योगी पुलिस ने ढेर कर दिया है वहीं अन्य की तलाश जारी है, जिन पर 2.5 लाख का इनाम भी रखा गया है, इस हत्या में अतीक का बेटा भी शामिल था।

और फिर 16 अप्रैल 2023 की रात माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पुलिस कस्टडी में रहते हुए गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। हत्या करने वाले तीन हमलावरों की पहचान पुलिस ने लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य के रूप में की है।

पुलिस का कहना है कि तीनों का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है।तीनों पत्रकार बनकर मीडियाकर्मियों के समूह में शामिल हो गए, जब अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ प्रयागराज में पत्रकारों से बात कर रहा था, तब उन्होंने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।पुलिस अधिकारियों ने कहा कि हमलावरों में से एक लवलेश तिवारी पहले भी जेल जा चुका है। उसके पिता ने मीडिया को बताया कि परिवार का उससे कोई लेना-देना नहीं है। पिता ने बताया कि लवलेश कई बार घर आता था और पांच-छह दिन पहले भी बांदा में था।लवलेश तिवारी के पिता यज्ञ तिवारी ने कहा, वह मेरा बेटा है। हमने टीवी पर घटना देखी।

हमें लवलेश की हरकतों की जानकारी नहीं है और न ही इससे हमारा कोई लेना-देना है। वह कभी यहां नहीं रहता था और न ही वह हमारे पारिवारिक मामलों में शामिल था। उसने हमें कुछ नहीं बताया। वह पांच-छह दिन पहले यहां आया था। हम सालों से उसके साथ बात नहीं कर रहे हैं। उसके खिलाफ पहले से ही मामला दर्ज है। उस मामले में उन्हें जेल हुई थी।कासगंज के रहने वाले सन्नी के खिलाफ 14 मामले दर्ज हैं और वह हिस्ट्रीशीटर घोषित होने के बाद से फरार चल रहा है।उनके पिता की मृत्यु हो गई थी, और उन्होंने पैतृक संपत्ति में अपना हिस्सा बेचकर घर छोड़ दिया था। सनी पांच साल से अपने परिवार, अपनी मां और भाई से मिलने नहीं गया। उसका भाई चाय की दुकान चलाता है।

तीसरा शूटर हमीरपुर का रहने वाला अरुण मौर्य बचपन में ही घर छोड़कर चला गया था। सूत्रों ने कहा कि उसका नाम 2010 में ट्रेन में एक पुलिसकर्मी की हत्या के मामले में सामने आया था।आरोपियों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह कुख्यात अपराधी बनना चाहता था, इसलिए उन्होंने अतीक की हत्या की, हालांकि पुलिस अभी तक उनके कबूलनामे पर विश्वास नहीं कर रही है। लिहाजा पूरे मामले की जांच चल रही है जांच के बाद ही पता चलेगा आखिर अतीक और भाई असरफ की हत्या क्यों हुई?अभी भी जांच का विषय बना हुआ है।

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