तालिबान का सपोर्ट करने पर गिरफ्तारी

सोशल मीडिया पर तालिबान के पक्ष में पोस्ट करने वाले असम के 14 लोग हिरासत में, साइट्स की निगरानी कर रही पुलिस

भारत में तालिबान का सपोर्ट करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। असम पुलिस ने सोशल मीडिया पर तालिबान के सपोर्ट में पोस्ट लिखने वाले 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारियां असम के अलग-अलग इलाकों से शुक्रवार रात की गईं।

आरोपियाों के खिलाफ IT एक्ट के अलावा CrPC के तहत केस दर्ज किया गया है। असम पुलिस ने बयान जारी कर बताया कि कामरूप, बारपेटा, धुबरी, करीमगंज से 2-2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा दरांग, कछार, हैलाकांडी, सलमारा दक्षिण, गोलपारा और होजाई जिले से 1-1 व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है। वे लगातार सोशल मीडिया पर नजर बनाए हुए हैं।

क्रिमिनल केस दर्ज किया
डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) वॉयलेट बरुआ ने बताया कि सोशल मीडिया पर तालिबान के समर्थन में कमेंट करने वालों पर असम पुलिस कार्रवाई कर रही है। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए कमेंट करने वालों के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी को इस तरह के कमेंट नजर आते हैं तो वह हमें बता सकता है।

मुनव्वर राना ने कहा था- अफगानिस्तान से ज्यादा क्रूरता हिंदुस्तान में
19 अगस्त को शायर मुनव्वर राना ने एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान के हालात भारत से बेहतर हैं। राना ने तालिबान की तुलना RSS, BJP और बजरंग दल से की थी। उनके बयान पर विवाद भी हुआ था।

भास्कर से बात करते हुए राना ने कहा था कि अफगानिस्तान से ज्यादा क्रूरता तो हिंदुस्तान में है। उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा उसका अंदरूनी मसला है। तालिबानी-अफगानी जो भी हैं, जैसे भी हैं, सब एक हैं। जैसे हमारे यहां बजरंग दल, BJP और RSS सब एक हैं। 1000 साल पुराना इतिहास उठाकर देख लीजिए, अफगानियों ने कभी हिंदुस्तान को धोखा नहीं दिया है।

AIMPLB के प्रवक्ता ने कहा था- तालिबान को सलाम
18 अगस्त को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने एक वीडियो मैसेज जारी किया था। इसमें उन्होंने तालिबानियों को अफगानिस्तान में हुकूमत कायम करने की बधाई दी थी और कहा था कि गरीब और निहत्थी कौम ने दुनिया की सबसे मजबूत फौज को शिकस्त दी, आपकी हिम्मत को सलाम।

उन्होंने कहा था कि 15 अगस्त 2021 की तारीख इतिहास बन गई। अफगानिस्तान की सरजमीं पर एक निहत्थी और गरीब कौम, जिसके पास न साइंस, न टेक्नोलॉजी, न दौलत, न हथियार और न तादाद थी, उसने पूरी दुनिया की सबसे ज्यादा मजबूत फौजों को शिकस्त दी और काबुल के सरकारी महल में वो दाखिल हो गए।’

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