अमित शाह ने बनाई मध्य प्रदेश फतह की रणनीति

जमीनी स्तर पर पार्टी की चुनावी मशीनरी की मजबूती और अमित शाह की कमान संभालने के बाद दिग्गज नेताओं की एकजुटता के बल पर भाजपा मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने की तैयारी में जुट गई है।

जमीनी स्तर पर पार्टी की चुनावी मशीनरी की मजबूती और अमित शाह (Amit Shah) की कमान संभालने के बाद दिग्गज नेताओं की एकजुटता के बल पर भाजपा मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव (MP Assembly Poll) जीतने की तैयारी में जुट गई है।

पिछले कुछ सालों में चुनाव के लिए बूथ स्तर संगठन का मजबूत ढांचा जरूर तैयार कर लिया गया था, लेकिन पार्टी के दिग्गज नेताओं की आपसी लड़ाई ने भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा हुआ था।

39 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान

शाह की उपस्थिति इन कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में सफल रही है। यही नहीं, बुरी तरह से हारी 39 सीटों पर उम्मीदवारों का तीन महीने पहले एलान कर नया दांव चला है। किसी भी चुनाव के लिए बूथ स्तर की तैयारी के लिए प्रसिद्ध भाजपा मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी स्तर पर सांगठनिक ढांचे को सक्रिय करने में सफल रही थी।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने जमीन तैयार करना शुरू कर दिया था। शर्मा ने दो फेज का बूथ विस्तारक अभियान पूरा कर लिया। इसके तहत 62 हजार से अधिक बूथ अध्यक्ष, 64 से अधिक बूथ महामंत्री, सात लाख से अधिक बूथ समिति के सदस्य और 14 लाख से अधिक पन्ना प्रमुखों के डाटा को डिजिटल कर दिया गया है और उनकी गतिविधियों पर संगठन के एप के माध्यम से निगरानी की जा रही है।

बूथ विजय संकल्प अभियान

इसके अलावा चार मई से 14 मई के बीच बूथ विजय संकल्प अभियान भी चलाया था। इसके तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गरीब कल्याण की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाकर और लाभार्थियों से संपर्क सुनिश्चित कर हर बूथ पर 51 फीसद वोट शेयर हासिल करने का लक्ष्य दिया गया।

ध्यान देने की बात है कि भाजपा की चुनावी मशीनरी में पन्ना प्रमुखों की अहम भूमिका होती है, जिसमें एक पन्ना प्रमुख को 20 मतदाताओं की सूची देकर उन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी जाती है।

डिजिटल माध्यम से संभव हुई रियल टाइम निगरानी

पहली बार डिजिटल माध्यम से पन्ना प्रमुखों से सीधे संपर्क और उनकी गतिविधियों की रियल टाइम निगरानी संभव हुई है। यानी जमीन तो तैयार हो गई थी, लेकिन आपसी खींचतान के कारण इस जमीन का लाभ उठाने की संभावना बनती नहीं दिख रही थी। सूत्रों के अनुसार,

पिछले महीने मध्यप्रदेश भाजपा के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पहली बैठक में ही अमित शाह ने साफ कर दिया कि उनकी आपसी मतभेद की वजह से चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों को जाया नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने दिग्गज नेताओं को चुनाव में एकजुट होकर लगने और जीत के बाद पार्टी द्वारा उनका ख्याल रखे जाने का भरोसा भी दिया।

बताया जाता है कि शाह ने पार्टी के सभी नेताओं को अलग-अलग काम भी सौंप दिया है और खुद ही उसकी निगरानी भी कर रहे हैं।

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