1 मार्च 2027 से शुरू होगी जातीय जनगणना, Akhilesh Yadav की आई प्रतिक्रिया.. हंसते-हंसते फूल जाएगा पेट

लखनऊ, 4 जून 2025 — भारत में प्रस्तावित जातीय जनगणना की तारीखों की घोषणा के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

केंद्र सरकार की घोषणा और अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि लद्दाख जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में जातीय जनगणना एक अक्टूबर 2026 से शुरू होगी, जबकि शेष भारत में यह प्रक्रिया 1 मार्च 2027 से आरंभ की जाएगी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, मतलब जब आयेगी यूपी में पीडीए सरकार, तब ही होगी जातीय जनगणना की शुरुआत।”

जातीय जनगणना की मांग और राजनीतिक दबाव

जातीय जनगणना की मांग लंबे समय से विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही है, विशेषकर सामाजिक न्याय और समान प्रतिनिधित्व की दिशा में। अखिलेश यादव ने पहले भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर दबाव डाला है और इसे ‘पीडीए की जीत’ करार दिया है।

भाजपा पर आरोप और चेतावनी

अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह चुनावी धांधली को जातीय जनगणना से दूर नहीं रख रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि एक ईमानदार जनगणना ही हर जाति को उसकी जनसंख्या के अनुपात में अधिकार दिला सकती है। उन्होंने कहा, “यह अधिकारों के सकारात्मक लोकतांत्रिक आंदोलन का पहला चरण है और भाजपा की नकारात्मक राजनीति का अंतिम।”

आगामी चुनावों में जातीय जनगणना का प्रभाव

जातीय जनगणना की प्रक्रिया और उसकी तारीखों की घोषणा आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकती है। अखिलेश यादव और सपा इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर लगातार दबाव बना रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह विषय आगामी राजनीतिक रणनीतियों में केंद्रीय भूमिका निभाएगा।

जातीय जनगणना की प्रक्रिया और उसकी निष्पक्षता को सुनिश्चित करना सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है, ताकि सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को साकार किया जा सके।

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