Air India Plane Crash: संजय राउत ने क्यों जताई साइबर हमले की आशंका ? क्या कुछ लगा हाथ ? कर दी बड़ी मांग !

12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 (बोइंग 787-8) महज 30 सेकंड में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दर्दनाक हादसे में 241 यात्रियों की मौत हो गई, केवल एक ही यात्री की जान बच पाई। इस भयावह घटना के बाद शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने साइबर हमले की आशंका जताते हुए सरकार से जांच की मांग की है।

संजय राउत का सवाल: क्या था साइबर हमला?

मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संजय राउत ने सवाल उठाया कि कहीं यह हादसा किसी दुश्मन देश के साइबर हमले का नतीजा तो नहीं? उन्होंने कहा, “मैं कोई तकनीकी विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन अहमदाबाद से उड़ान भरने के 30 सेकंड के भीतर इस फ्लाइट का क्रैश होना सामान्य नहीं है। यह एक गंभीर मामला है।” राउत ने बताया कि हाल ही में भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों पर साइबर हमले की कोशिशें हुई थीं, और संभव है कि यह हमला भी उसी रणनीति का हिस्सा हो। उन्होंने एयर इंडिया की मेंटेनेंस व्यवस्था, बोइंग डील और विमानन मंत्रालय के रवैये पर भी सवाल उठाए।

हादसे में 241 लोगों की गई जान, सिर्फ एक बचा

AI-171 फ्लाइट दोपहर 13:38 बजे अहमदाबाद से रवाना हुई थी, जिसमें कुल 242 लोग सवार थे—169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, एक कनाडाई और सात पुर्तगाली नागरिक। उड़ान के कुछ ही क्षणों बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह भारतीय विमानन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक बन गई।

रखरखाव और बोइंग डील पर भी सवाल

राउत ने यह भी कहा कि जब बोइंग डील की गई थी, तब बीजेपी इसका विरोध कर रही थी। उस समय नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल थे। उन्होंने पूछा कि अहमदाबाद में रखरखाव का ठेका किसे दिया गया था? क्या रखरखाव मानकों का पूरी तरह पालन हुआ था? उन्होंने कहा, “लोग अब हवाई यात्रा से डरने लगे हैं। विमानन क्षेत्र में सुरक्षा और रखरखाव सर्वोपरि होना चाहिए।”

सरकार ने की उच्च स्तरीय बहु-विषयक समिति की घोषणा

घटना की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने दुर्घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय बहु-विषयक समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता भारत सरकार के गृह सचिव करेंगे। इसमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीय वायुसेना और विमानन विशेषज्ञों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

समिति करेगी सभी पहलुओं की जांच

सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, यह समिति मौजूदा एसओपी (Standard Operating Procedures) और दिशानिर्देशों की समीक्षा करेगी। साथ ही, ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोकने और बेहतर ढंग से संभालने के लिए व्यापक सुधार और दिशानिर्देश सुझाएगी। समिति को फ्लाइट डेटा, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर, एटीसी लॉग्स, विमान रखरखाव रिकॉर्ड और चश्मदीदों की गवाही सहित सभी संबंधित रिकॉर्ड्स तक पहुंच प्राप्त होगी।

तीन महीने में देगी समिति अपनी रिपोर्ट

यह समिति तीन महीनों के भीतर अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसमें हादसे की मूल वजहों की जांच के साथ-साथ, बचाव कार्यों में लगी एजेंसियों की आपातकालीन प्रतिक्रिया, समन्वय और मौजूदा नीतियों की समीक्षा की जाएगी। समिति प्रशिक्षण, सुरक्षा प्रोटोकॉल और तकनीकी सुधारों पर भी सुझाव देगी।

समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य

इस समिति का मुख्य उद्देश्य केवल तकनीकी जांच नहीं, बल्कि नीतिगत सुधारों की सिफारिश करना भी है। एसओपी में अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया जाएगा, ताकि भारत में विमानन सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके।

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