Plane Crash: “हाथ जोड़ता हूँ.. मेरी बेटी एडमिट है.. कहाँ जाएं”, रोते-गिड़गिड़ाते डॉक्टर की सरकार से गुहार

12 जून 2025 की दोपहर अनहोनी बन गई, जब एयर इंडिया की बोइंग 787‑8 (फ्लाइट AI 171) अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन गेटविक जा रही थी, अचानक टेकऑफ के 30 सेकेंड बाद बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में जा घुसी। इस दर्दनाक हादसे में विमान के 242 लोगों में से 241 मौत के मुहाने पर पहुँच गए, केवल एक यात्री ही जिंदा बच पाया। साथ ही हॉस्टल में भोजन कर रहे चिकित्सा छात्र-छात्राएं भी इसकी चपेट में आ गए, जिससे ग्राउंड पर भी कई जानें गईं।
घटना का विस्तृत वर्णन
फ्लाइट 171 अहमदाबाद एयरपोर्ट की रनवे 23 से 12 जून, 2025 को 13:38 IST पर टेकऑफ हुई। लेकिन केवल चंद सेकंडों में विमान अचानक ऊँचाई लेने के बजाय नीचे आने लगा और लगभग 230 फीट (70 मी) की ऊँचाई पर (रनवे से करीब 1.5 किमी दूर) हॉस्टल से टकरा गया। इस भीषण टक्कर और भयंकर आग में विमान का पिछला हिस्सा हॉस्टल की इमारत में फंस गया।
हताहतों और जीवित बचे व्यक्ति की जानकारी
विमान में सवार 230 यात्रियों व 12 क्रू सदस्यों में से 241 की मौत हुई, एक व्यक्ति (विंगश कुमार रमेश, बेटा ब्रिटिश-भारतीय) ही जीवित बचा। उस सीट से निकला था जो एमरजेंसी गेट के पास थी। उसके भाई – जो बस कुछ सीट दूर थे – उसकी मौत हुई।
हॉस्टल के भीतर कम से कम 24 जमीन पर मौजूद लोग मारे गए और 60 से अधिक घायल हुए। इसमें कई छात्र भी शामिल थे।
पहचान और पोस्टमॉर्टम की चुनौतियाँ
भयंकर आग से कई शव इतने जले कि पहचान असंभव हो गई, जिससे DNA परीक्षण से ही परिवारों को उनका मिलान किया जा रहा है। अहमदाबाद के BJ मेडिकल कॉलेज को इसी कार्य के लिए अस्थायी केन्द्र बनाया गया है, जहाँ परिजन घंटों खड़े होकर इंतजार करते रहे। विश्राम नहीं जुटने पर परिजनों में कई बार गुस्से और आक्रोश की झलक भी दिखाई दी।
हादसे से प्रभावितों की व्यक्तिगत दर्दगाथाएँ
हॉस्टल में रेजिडेंट डॉक्टर अनिल, जिनकी बेटी इलाज के लिए हॉस्पिटल में एडमिट थी, मीडिया से गुहार लगाते दिखे कि उन्हें सामान हटाने और जगह खाली करने के लिए 2–3 दिन चाहिए थे, लेकिन उन्हें इंतज़ार नहीं होने दिया गया। उन्होंने कहा – “मैं यहाँ हैल्पलेस हूँ, मेरी बच्ची एडमिट है”
विष्वास कुमार रमेश — इकलौते जीवित व्यक्ति — एमरजेंसी डोर से बाहर निकले, लेकिन उसके भाई की मौत हो गई। पीएम मोदी ने अस्पताल जाकर उनसे मुलाक़ात की।
शिर्लाबेन ठाकोर और दो वर्षीय पोती-अध्या: कैंटीन में खाना बाँटने गई माँ और पोती हादसे में गायब, परिजन अब भी उनकी तलाश कर रहे हैं। DNA के लिए सैंपल दिया गया है।
55 वर्षीय, जो लंदन में अपनी बेटी के डिलीवरी के लिए जा रही थीं, वह भी इस हादसे की शिकार हुईं।
अर्जुन पटोलिया और उनके नन्हें बच्चे: 37 वर्षीय अर्जुन पटोलिया ने अपनी पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करते हुए उसके अंतिम संस्कार के बाद लंदन लौटने की योजना बनाई, लेकिन विमान हादसे में उनकी भी मृत्यु हो गई, जिससे उनके दो छोटे बच्चे अनाथ हो गए सिर्फ 18 दिनों में।
जांच और सुरक्षात्मक पहल
दुर्घटना के तुरंत बाद विमान का ब्लैक बॉक्स, जो डेटा रिकॉर्डर है, बरामद कर लिया गया है। जांच में अमेरिकी FAA, NTSB, ब्रिटिश और भारतीय एजेंसियाँ, बोइंग और GE एयरोस्पेस की टीमें भी शामिल हैं।
प्रारंभिक जानकारी में टेक-ऑफ के दौरान पॉसिबल फ्लैप/लैंडिंग गियर की गलती और “स्टॉलिंग” का संकेत है, बावजूद इसके अभी कोई निष्कर्षिक निर्णय नहीं लिया गया है।
DGCA ने एयर इंडिया के पूरे बोइंग 787 बेड़े को अतिरिक्त प्री-डिपार्चर जांच आदेशित किया है, जबकि Tata Group ने प्रभावित परिवारों को ₹1 करोड़ की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। कुछ परिजनों ने इस राशि से ₹2 करोड़ देकर अपने पूर्वजों को वापस लाने की भावनात्मक अपील भी की।
राहत एवं बचाव प्रयास
हादसे के तुरंत बाद NDRF, CRPF, CISF, पुलिस, स्थानीय दमकल विभाग, भारतीय सेना, रेलवे राहत दल आदि को तैनात कर बचाव व मरने वालों की निकासी एवं प्राथमिक उपचार व्यवस्था की गई। आसपास के ट्रैफ़िक को नियंत्रित कर मौके की सफाई और दुर्घटना से निपटने की ठोस तैयारी की गई।
पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय अधिकारी घटनास्थल और अस्पतालों का दौरा कर मदद का भरोसा दिलाए।
यह हादसा न केवल एक विमान दुर्घटना था, बल्कि चिकित्सा छात्रावास में अचानक आई तबाही से समूचे अहमदाबाद की संवेदनशीलता झकझोर उठा। DNA आरम्भ, जांच की लम्बी प्रक्रिया और प्रभावित परिवारों का आक्रोश— सब एक गहरी मानवीय आपदा का संकेत हैं। ऐसे समय में जांच की पारदर्शिता, उचित मरहम और जवाबदेही ही घावों को भरने का मार्ग है।