27 साल में दो प्लेन क्रैश.. दोनों बार बची सीट 11A पर बैठे यात्री की जान, चमत्कार या इत्तिफाक ?

अहमदाबाद में हुए हालिया एयर इंडिया हादसे ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है। लेकिन इस दर्दनाक हादसे के बीच एक ऐसा चमत्कारी संयोग सामने आया है, जिसने हर किसी को हैरत में डाल दिया है। हादसे में जहां 241 यात्रियों की मौत हो गई, वहीं विश्वास रमेश नामक यात्री सिर्फ 11A सीट पर बैठने के कारण बच निकले। हैरानी की बात यह है कि 27 साल पहले थाईलैंड में हुई विमान दुर्घटना में भी एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति जेम्स रुआंगसाक लोयचुसाक भी 11A सीट पर ही बैठे थे।
242 यात्रियों में एकमात्र जीवित व्यक्ति
विमान हादसे में ब्रिटिश-भारतीय मूल के विश्वास कुमार रमेश अकेले यात्री थे जो जीवित बचे। हादसे के वक्त वह 11A सीट पर बैठे थे। विमान जब क्रैश हुआ तो वह गंभीर रूप से घायल हो गए लेकिन होश में थे। स्थानीय लोगों की मदद से वह पास की एम्बुलेंस तक पहुंच पाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अस्पताल जाकर रमेश से मुलाकात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
थाई गायक जेम्स रुआंगसाक का चौंकाने वाला अनुभव
इस हादसे की खबर जब थाईलैंड के मशहूर गायक और अभिनेता जेम्स रुआंगसाक लोयचुसाक तक पहुँची, तो वह हैरान रह गए। उन्होंने बताया कि दिसंबर 1998 में वह थाई एयरवेज की फ्लाइट TG 261 में सवार थे, जो दक्षिणी थाईलैंड में लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गई थी।
उस दुर्घटना में 101 लोग मारे गए थे, लेकिन रुआंगसाक 11A सीट पर बैठने के कारण अकेले जीवित बचे। इस हादसे के बाद उन्होंने लगभग 10 साल तक विमान यात्रा नहीं की।
रुआंगसाक की सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट
विश्वास रमेश की 11A सीट की खबर सुनकर रुआंगसाक ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक भावुक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा:
“भारत में हुए विमान हादसे में एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति भी उसी 11A सीट पर बैठे थे, जिस पर 27 साल पहले मैं था। यह खबर सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मेरी संवेदनाएं उन सभी के साथ हैं जिन्होंने अपने परिजनों को खोया है।”
रुआंगसाक ने यह भी कहा कि इस खबर ने उन्हें उनके पुराने दर्दनाक अनुभवों की याद दिला दी।
मानसिक आघात और यादें
रुआंगसाक ने बताया कि हादसे के बाद वह मानसिक रूप से बहुत कमजोर हो गए थे। विमान यात्रा उनके लिए भय का प्रतीक बन गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि एक और व्यक्ति का उसी सीट पर बैठकर बच जाना सिर्फ संयोग नहीं बल्कि एक चमत्कारी अनुभव लगता है।
“उस दर्द को सिर्फ वही समझ सकता है जो खुद इससे गुजरा हो,” — रुआंगसाक।
दूसरे ऐसे मामले भी सामने आए
इतिहास में यह पहला मामला नहीं है जब कोई व्यक्ति विमान हादसे में अकेला जीवित बचा हो। 1985 में नेवादा (अमेरिका) में एक विमान हादसे में जॉर्ज लैमसन जूनियर एकमात्र जीवित यात्री थे। इस घटना के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा:
“भारत में हुई दुर्घटना की खबर ने मुझे झकझोर दिया। हादसे से गुज़रने वाले लोग कभी उन क्षणों को नहीं भूल पाते हैं।”
क्या यह केवल संयोग है या कुछ और ?
अब सवाल उठ रहा है कि क्या 11A सीट की यह पुनरावृत्ति केवल संयोग है या फिर इसके पीछे कुछ और भी है? विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि सीट पोजीशन का सुरक्षा से कुछ खास लेना-देना नहीं होता, लेकिन लगातार दो हादसों में यह समानता लोगों की रुचि और चर्चा का विषय बन गई है।