अफगान डिप्लोमैट की आंखों देखी

पुरानी सरकार में काम करने वाले मेरे जैसे लोग छुपे हुए हैं; काबुल में लूटपाट हो रही है, ये तालिबानी कर रहे हैं या अपराधी, कुछ पता नहीं

काबुल पर अब तालिबान का कंट्रोल है। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अंतरिम सरकार का गठन अभी नहीं हुआ है। पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई के नेतृत्व में एक ट्रांजिशन काउंसिल तालिबान के साथ मिलकर सरकार के गठन के लिए प्रयास कर रही है।

काबुल में पुलिस और सेना ने कमान तालिबान को सौंप दी है। जगह-जगह तालिबान के लड़ाके तैनात हैं। एक दिन के अंतराल के बाद अब एयरपोर्ट से उड़ानें फिर शुरू हो गई हैं। अमेरिका सहित बाकी देश जल्दबाजी में अपने लोगों को वहां से निकाल रहे हैं।

तालिबान ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसने सभी को माफ कर दिया है और किसी को भी निशाना नहीं बनाया जाएगा। बावजूद इसके अफगानिस्तान सरकार का हिस्सा रहे लोग छुपे हुए हैं।

अहमद शाह कटवाजई वरिष्ठ राजनयिक हैं और अमेरिका में अफगानिस्तान के दूतावास में काम कर चुके हैं। वो भी काबुल में छुपे हुए हैं। उन्होंने दैनिक भास्कर से बात की और अपनी आंखों देखी बयान की। उन्हीं के लफ्जों में जानिए काबुल के मौजूदा हालात….

मैं अभी इस वक्त काबुल में हूं और एक सुरक्षित ठिकाने पर छुपा हुआ हूं, ताकि कोई मुझे नुकसान न पहुंचा सके। हम सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि अभी किसी को नहीं पता कि क्या हो सकता है। मैं बाहर काबुल की गली में देखता हूं तो बड़ी तादाद में तालिबान के लड़ाके नजर आते हैं। साथ ही कुछ अपराधी भी सक्रिय हैं जो लोगों के घरों में चोरी कर रहे हैं और उनके वाहनों को जबरदस्ती छीन रहे हैं।

तालिबान का कहना है कि वो किसी के घर पर दस्तक नहीं दे रहे हैं और कोई संपत्ति नहीं छीन रहे हैं, लेकिन अपराधी जरूर सक्रिय हैं जो अफरातफरी के माहौल का फायदा उठाना चाहते हैं।तालिबान की कोई खास पोशाक नहीं है। वो सादे कपड़े पहनते हैं। तालिबान सलवार कमीज में होते हैं और यहां आम लोग भी सलवार कमीज पहनते हैं। ऐसे में कौन तालिबान है और कौन अपराधी, ये फर्क करना हमारे लिए मुश्किल है। यही वजह है कि काबुल के नागरिक अपने जान-माल की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हैं।

काबुल की सड़कों पर इन दिनों ऐसे दृश्य आम हैं। ज्यादातर सरकारी चीजों पर तालिबान का नियंत्रण हो चुका है। हालांकि शहर में तालिबान लड़ाकों द्वारा हिंसा की खबरें भी आ रही हैं।

ईमानदारी से कहूं तो मैं बीते तीन दिनों से सोया नहीं हूं। मैं बहुत थका हूं, लेकिन हालात ऐसे हैं कि नींद नहीं आ रही है। अफगानिस्तान में इस समय कोई राष्ट्रपति नहीं है। हमें नहीं पता कि क्या हो रहा है। सभी सरकारी दफ्तर, बैंक और सभी सरकारी कार्यालय बंद हैं। कुछ दुकानें खुली हैं। जहां मैं हूं, वहां अधिकतर सड़कें खाली हैं, तालिबान सड़कों पर घूमते दिख रहे हैं, उनके हाथों में हथियार हैं। वो सेना से लूटी गई हमवी (सैन्य वाहन) पर सवार हैं। इस माहौल से हम चिंतित हैं।

पूरा दिन मैं खबरें पढ़ रहा था, हालात पर नजर रखे हुए था। मैंने कुछ साक्षात्कार भी दिए हैं। मैं भविष्य के बारे में सोच रहा था कि आगे क्या होगा। मुझे लगता है कि सत्ता में चाहे जो भी हो, मैं सिस्टम के लिए काम करता रहूंगा।

मैं अफगानिस्तान के लिए काम करता हूं, मैं एक सरकारी कर्मचारी हूं और बीते एक दशक से सरकार के लिए काम कर रहा हूं। इसलिए मेरे लिए ये मायने नहीं रखता कि राष्ट्रपति कौन है, मेरा काम अपने लोगों की,अपने देश की और अपनी जमीन की सेवा करना है।

मुझे लगता है कि जल्द ही साझा सरकार बनेगी जिसमें लोगों की मर्जी शामिल होगी और ये अफगान के सभी लोगों की सरकार होगी। तालिबान ने अब तक ये दावा किया है कि वो शहर को सुरक्षित रहेंगे। अभी तक का अनुभव यही है कि तालिबान ने शहर को सुरक्षित रखा है।

राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई की गाड़ी लौटाई

राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी ने ट्वीट करके ये शिकायत की थी कि कुछ हथियारबंद लोगों ने उनके घर आकर उनकी कार छीन ली है। इस ट्वीट के कुछ देर बाद ही तालिबान लड़ाके हशमत गनी के घर पहुंचे और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिया। तालिबान ने उनका वाहन भी उन्हें लौटा दिया और उनके घर के बाहर अपने गार्ड तैनात कर दिए। हमने ऐसी कई घटनाओं के बारे में सुना है जिनके जरिए तालिबान ने भरोसा पैदा करने की कोशिश की है।

लूटपाट हो रही है, ये तालिबान के लोग हैं या कोई और, हमें नहीं पता

ग्रामीण विकास मंत्रालय के कम्प्यूटरों को लूट लिया गया है और वहां खड़े सरकारी वाहन भी हथियारबंद लोगों ने छीन लिए हैं। ऐसा ही वजीर अकर खान इलाके में हुआ जहां हथियारबंद लोगों ने वाहन छीन लिए।अभी ये नहीं पता है कि लूटने वाले तालिबान थे या किसी गैंग के लोग थे, लेकिन काबुल में ऐसी घटनाएं हो रही हैं।

तालीबान ने अभी तक किसी सरकारी कर्मचारी या NGO कर्मचारी को निशाना नहीं बनाया है, लेकिन लोगों में डर का माहौल है। किसी को नहीं पता है कि क्या होने वाला है और तालिबान आगे क्या करेगा। अधिकतर बाजार बंद हैं और लोग घरों में ही कैद हैं। जो लोग सरकार का हिस्सा थे, वो आशंकित हैं। काबुल में स्कूल भी बंद हैं। तालिबान के लोग उच्च शिक्षा मंत्रालय गए थे, लेकिन मंत्रालय भी बंद ही था।

ज्यादातर देश अपना दूतावास खाली कर रहे हैं

दुनिया के सभी देश काबुल के अपने दूतावास के स्टाफ और उनके परिवारों को वहां से निकाल रहे हैं। ज्यादातर देशों ने इसके लिए अपनी विशेष उड़ानें भेजी हैं।

मैं मौजूदा हालात में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं। माहौल बहुत तनावपूर्ण है। इस माहौल में ये तय कर पाना मुश्किल है कि कौन-कितना सुरक्षित है। हर कोई यहां भविष्य को लेकर चिंतित है। अमेरिका और दूसरे देश अपना दूतावास खाली कर रहे हैं। विदेशी काबुल छोड़कर जा रहे हैं। अमेरिका और दूसरे देशों के दूतावास बंद होने के बाद तालिबान के हमले शुरू होने की आशंका है।

वहीं दोहा और इस्लामाबाद में नई सरकार के गठन को लेकर बातचीत चल रही है। हमारी उम्मीद इसी बातचीत से है। नई सरकार का स्वरूप कैसा होगा और इसमें कौन-कौन शामिल होगा, यही अब हम अफगान लोगों का भविष्य तय करेगा।

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