अभिनेता सुनील शेट्टी के बयान के बाद अब बॉलीवुड पर एक देशव्यापी बहस का आह्वान

यह समाचार या संदेश हमारा समाज बॉलीवुड को दे रहा है। बॉलीवुड जैसा परोसेगा वैसा समाज खाएगा। यह सूचना एक चेतावनी है। अब कम से कम इनको सुधर जाना चाहिए नहीं तो ये समाप्त हो जाएगें।

हाल ही में मुंबई में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बॉलीवुड के कुछ प्रमुख लोगों के साथ बातचीत में फ़िल्म अभिनेता श्री सुनील शेट्टी द्वारा बॉलीवुड बॉयकॉट के संबंध में कहा गया उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की श्री शेट्टी के बयान के बाद अब ज़रूरी हो जाता है की बॉलीवुड के कार्यकलापों पर एक राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए क्योंकि सिनेमा देश का दर्पण होता है ।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की इसमें कोई दो राय नहीं है की बॉलीवुड ने समय समय पर बेहतरीन फ़िल्में दे हैं तथा अप्रतिम प्रतिभाएँ भी राष्ट्र को दी हैं किंतु यह भी सत्य है की पिछले कुछ वर्षों से बॉलीवुड की फ़िल्मों ने देश की सभ्यता और संस्कृति के ख़राब चित्रण में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है ।उन्होंने ज़ोर देकर कहा की आज जी फ़िल्में बन रही है और ख़ास तौर पर ओटीटी प्लेटफार्म पर जो दिखाया जा रहा है , वो कौन सा भारत है। श्री शेट्टी सहित बॉलीवुड के समस्त अग्रिम पंक्ति के लोगों को सोचना चाहिए की देश में क्यों बॉलीवुड बॉयकॉट की नौबत आई है ।

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की इस प्रकार के किसी भी वक्तव्य देने से पहले श्री शेट्टी को आत्ममंथन और चिंतन करना चाहिए। उन्हें सोचना चाहिए की बॉलीवुड के बारे में समाज की ऐसी धारणा क्यों बन गई है।बॉलीवुड पहले क्या था और अब क्या हो गया है। यह लोग समाज में किसके और किस प्रकार के छिपे अजंडे को आगे लेकर जा रहे हैं। जो अजेंडा आगे लेकर जा रहें हैं वह अंत में समाज को कहां लाकर खड़ा करेगा। यह भी समझना जरूरी है।

दोनों नेताओं ने कहा की कला, कलाकार, नाटक, टीवी धारावाहिक, पिक्चरों की कहानियां, कलाकारों के द्वारा निभाई जा रहे अलग-अलग किरदारों आदि के कार्य से समाज बहुत ज्यादा प्रभावित होता है। आज का युवा इन कलाकारों को आदर्श मानकर उनकी नकल करना चाहता है। जब हमारा नायक अपने गलत कार्य कर कर के अपने आप को सफल घोषित करता है, वह जिस प्रकार के डायलॉग बोलता है, जिस प्रकार से आपसी संबंधों को दर्शाया जाता है तथा नग्नता को खुले आम परोसा जाता है एवं जिस प्रकार के शौक पालता है, यह क्या उच्च स्तर के समाज के लायक है।

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की समाज के अपने संस्कार, संस्कृति, सभ्यता और परंपरा होती है। समाज जल्दी से उसे भूलना नहीं चाहता। समाज सतर्क भी है। जब समाज को ऐसा लगता है की कोई अव्याहवारिक गतिविधि अति हो गई है और वह हमारे समाज के लिए उचित नहीं है, तो विद्रोह की आवाज निकलने लगती है ।जब देश के सामूहिक लोग बॉलीवुड के बहिष्कार की बात करते हैं तो यह किसी एक फिल्म या एक किरदार के कारण नहीं होता। यह मटके की वह आखिरी बूंद होती है, जिस से मटका फूटता है। पिछले 30 से 40 सालों से, धीरे-धीरे जिस तरीके से हमारी संस्कृति के ऊपर आघात पहुंचाया जा रहा है, उस की चरम सीमा आ जाने से, समाज में असंतोष का विद्रोह हो रहा है। समाज चाहता है कि हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा और संस्कार को बचाए रखना है, तो ऐसे लोगों को तथा इनके कार्य को समाज से दूर करना जरूरी है। हमारे बच्चे इनके प्रभाव में नहीं आना चाहिए।

उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री योगी जी ने बॉलीवुड के साथ साथ, जो उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी बनाने की घोषणा की है, हम उसका पूरा समर्थन करते हैं। निश्चित रूप से अगर उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी बनी तो वहां बनने वाली फिल्में सुसंस्कारिक होगी। देश की परंपरा, सभ्यता और संस्कृति को आगे ले जाने वाली होगी। इसलिए उत्तर प्रदेश की फिल्म सिटी जल्द से जल्द बनना चाहिए क्योंकि इससे प्रदेश में व्यापार के बड़े नये अवसर मिलेंगे ।

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