अफ़ग़ानिस्तान और अर्थव्यवस्था

पहले तालिबानी राज में अफगानिस्तान की एक भी लड़की स्कूल नहीं जाती थी, कोरोना से पहले 83% का स्कूल में रजिस्ट्रेशन; GDP भी 5 गुना बढ़ी

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है। नई सरकार के गठन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। दूसरी बार सत्ता में आया तालिबान पहली बार के मुकाबले खुद को कम क्रूर दिखाने की कोशिश कर रहा है। इन सबके बीच लोगों का पलायन जारी है। महिलाओं को फिर से घर में कैद हो जाने का डर है, तो लड़कियों को स्कूल छूटने का डर है। वहीं, अफगानिस्तान के विकास के लिए पिछले 20 साल में जो प्रयास किए गए, वो भी अब संकट में हैं।

पिछले बीस साल में अफगानिस्तान कितना बदला? उसकी GDPमें कितना इजाफा हुआ? प्राइमरी स्कूलों में बच्चों का एनरोलमेंट कितना बढ़ा? आम अफगानी की इनकम में कितना इजाफा हुआ? दक्षिण एशिया के बाकी देशों के मुकाबले अफगानिस्तान कहां है? आइए जानते हैं …

तालिबान के दौर में GDP कितनी? वर्ल्ड बैंक को भी पता नहीं

1960 में अफगानिस्तान की GDP 3.7 हजार करोड़ रुपए थी। 1980 आते-आते ये 26.7 हजार करोड़ तक पहुंच गई, लेकिन इसके बाद पहले सोवियत संघ और उसके बाद तालिबान के शासन के दौर में अफगानिस्तान की GDP का रिकॉर्ड वर्ल्ड बैंक के पास नहीं है। 1980 के बाद 2002 में पहली बार अफगानिस्तान की GDP जारी हुई। उस वक्त 29.7 हजार करोड़ रुपए थी। यानी, 22 साल में GDP में महज 3 हजार करोड़ का इजाफा हुआ। पिछले 18 साल में अफगानिस्तान की GDP पांच गुना हो चुकी है। अब एक बार फिर तालिबानी राज आने के बाद अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान का अंदेशा है।

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