शिकायतों का हुआ फर्जी निस्तारण जमीन पर कार्रवाई शून्य

महेंद्र सिंह तंवर के नगर आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से लगातार तत्परता से कार्य किया जा रहा है | क्षेत्र में बढ़ रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए नगर आयुक्त द्वारा प्रत्येक शनिवार को सोशल मीडिया के माध्यम से जनसुनवाई का भी आयोजन किया जा रहा है | लगातार पार्को का सौंदर्यीकरण, सड़कों का जीर्णोद्धार, पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रीन कॉरिडोर और अन्य जन सुविधाओं के क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है | लेकिन निचले अधिकारियों की मनमानी के चलते विभिन्न क्षेत्रों में नगर आयुक्त की किरकिरी हो रही है | कार्यालय से संबंधित अन्य अधिकारी अभी पुरानी परिपाटी पर ही कार्य करने के आदी हैं | जिसके चलते ज्यादातर मामलों का निस्तारण उनके द्वारा कागजों पर ही कर दिया जाता है | जिससे नगर निगम के साथ-साथ सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े किए जाते हैं | क्योंकि बेहतर कार्य योजना बनाने मात्र से विकास नहीं होता है, उसके लिए जरूरी होता है कि अधीनस्थ अधिकारी शीर्ष अधिकारियों के समान तत्परता और ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करें | जिससे किसी भी योजना का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके | अग्र भारत समाचार पत्र द्वारा लगातार जन समस्याओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया जा रहा है | उसी के क्रम में गाजियाबाद जिले से वार्ड नंबर 10, सरदार पटेल एकता पार्क सी वन ब्लॉक से एक मेल समाचार पत्र कार्यालय को प्राप्त हुआ | जिसमें बताया गया कि 22 फरवरी को मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर एक शिकायत दर्जनभर पाम के वृक्षों की पत्तियों के कटाई से संबंधित दर्ज कराई गई थी | जिसके बाद शिकायतकर्ता ने जब मार्च माह के तीसरे सप्ताह में समस्या का समाधान ना होने पर पुनः पोर्टल पर स्टेटस चेक किया तो पता चला कि यह कार्य नगर निगम द्वारा कुशलता से संपादित किया जा चुका है | ऐसी एक ही नहीं दर्जनों शिकायतें गाजियाबाद नगर निगम के संबंध में समय-समय पर सामने आती रही हैं | लेकिन अभी भी बार-बार नगर आयुक्त के निर्देशन के बावजूद भी निचले अधिकारी पुरानी परिपाटी से नहीं निकल पा रहे हैं | इसी से लगे हुए लवकुश पार्क में सिंचाई के लिए समर्सिबल तो लगाया गया है लेकिन नियुक्त माली की उपस्थिति ना होने के कारण इस पार्क में पेड़-पौधे सूख रहे हैं |

स्थानीय लोगों की माने तो इस पार्क में उद्यान निरीक्षक समेत कुल 3 कर्मचारियों की तैनाती की गई है | लेकिन कर्मचारियों में कभी भी कोई पार्क की स्थिति देखने नहीं आता है यहां के निवासियों ने बताया कि उनके द्वारा स्वयं अपने सामर्थ्य के अनुसार पौधों में बाल्टी से जल उपलब्ध कराया जाता है | स्थानीय निवासियों के अनुसार उनके द्वारा कई बार उद्यान निरीक्षक को अवगत कराया गया लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकल सका | स्थानीय लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द झूठी जानकारी शासन को देने के कारण उद्यान निरीक्षक पर कार्यवाही की जाए और उनकी समस्या का हल भी निकाला जाए |

इस संबंध में जब उद्यान निरीक्षक अजय कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने ऊंची आवाज में यह कहते हुए फोन कट कर दिया की पूरे गाजियाबाद की जिम्मेदारी उनकी है, फोन पर कोई भी जानकारी नहीं दे सकते हैं | शायद उद्यान निरीक्षक अपने आपको सुरक्षा एजेंसी या किसी जांच एजेंसी का हिस्सा मान बैठे हैं और कागजों में कार्य निष्पादित हो गया है लेकिन जमीनी स्तर पर कार्य शून्य हुआ है इसका स्पष्टीकरण देने मात्र से गोपनीयता भंग होने का डर था, इसके चलते उद्यान निरीक्षक अजय कुमार ने फोन पर जवाब नहीं दिया | यदि जिम्मेदार अधिकारियों का यह रवैया मीडिया के लिए रहता है तो आम आदमी की महोदय कैसे सुनते होंगे इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं |

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