सीरियल ब्लास्ट केस में आतंकी टुंडा पर फैसला 30 को:अजमेर की टाडा कोर्ट में चार्ज पर हुई बहस,

1993 में किए थे पांच ट्रेनों में धमाके, कड़ी सुरक्षा के बीच गाजियाबाद जेल से लाया गया राजस्थान

अयोध्या में विवादास्पद ढांचे को ढहाए जाने की बरसी पर 6 दिसंबर 1993 को देश के विभिन्न हिस्सों में कई राजधानी एक्सप्रेस में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। इसके आरोपी कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर तैयबा के कमांडर अब्दुल करीम उर्फ टुंडा की शुक्रवार को यहां टाडा कोर्ट में पेशी हुई। टुंडा के साथी आतंकी शमसुद्दीन व इरफान को भी कोर्ट में पेश कर चार्ज पर बहस की गई। अदालत ने इस मामले में चार्ज पर अपना फैसला सुनाने के लिए आगामी 30 सितम्बर का दिन तय किया है।

ट्रेन ब्लास्ट का आरोपी इरफान।

गाजियाबाद की डासना जेल में बंद कुख्यात आतंकवादी टुंडा को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच अजमेर लाया गया। यहां अजमेर जेल में बंद उसके साथी आतंकी शमसुद्दीन व इरफान अहमद उर्फ पप्पू के साथ टाडा कोर्ट में पेश किया गया। उन पर लगाए गए चार्ज पर बहस हुई। मामले की अगली सुनवाई 30 सितम्बर को होगी।

अजमेर के टाडा कोर्ट में अजमेर जेल में बंद शमसुद्दीन को पेशी पर लाया गया।

अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ टाडा स्पेशल कोर्ट 30 सितंबर को फैसला सुनाएगी। आतंकी टुंडा पर आरोप है कि उसने बाबरी मस्जिद ध्वस्त होने की पहली बरसी पर 1993 में अपने साथियों के साथ मिल कर देश भर की पांच ट्रेनों में बम ब्लास्ट करवाए थे। ये धमाके सूरत, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ और कानपुर में हुए थे। इस मामले में टूंडा को टाडा कानून के तहत नेपाल बॉर्डर के पास दिल्ली पुलिस ने अगस्त 2013 में गिरफ्तार किया था।

कौन है आतंकी अब्दुल करीम टुंडा
आतंकी अब्दुल करीम टुंडा का जन्म उत्तर प्रदेश के पिलखुआ में हुआ था। उसने बढ़ईगीरी से अपने कैरियर की शुरुआत की। फिर कबाड़ बेचा और एक समय होमियोपैथी दवा की दुकान भी की। यह धंधा भी उसे रास नहीं आया और फिर उसने कपड़ा बेचने का व्यापार किया। इसी दौरान धीरे-धीरे करके उसने आतंक की दुनिया में कदम रखा। अब्दुल करीम दुनिया के सबसे बड़े आतंकी संगठन लश्कर-तैयबा के संपर्क में आया। पाकिस्तान में भी कई आतंकियों को ट्रेनिंग दी। उस पर देश भर में करीब 30 केस हैं।

टुंडा का राजस्थान कनेक्शन
लश्कर जैसे कुख्यात आतंकी गिरोह से जुड़े अब्दुल करीम का नाम टुंडा एक हादसे के बाद पड़ा। वर्ष 1985 में टुंडा टोंक जिले की एक मस्जिद में जिहाद की मीटिंग ले रहा था। इस दौरान वह पाइप गन चलाकर दिखा रहा था। तभी यह गन फट गई, जिसमें उसका हाथ उड़ गया। इसके कारण उसका नाम टुंडा पड़ गया।

देश में केवल तीन ही टाडा कोर्ट
टाडा कानून के तहत पकड़े जाने वाले आरोपियों की सुनवाई के लिए देशभर मे केवल तीन विशेष अदालतें हैं। मुंबई, अजमेर और श्रीनगर। श्रीनगर कोर्ट अभी नई बनी है। इसलिए उत्तर भारत से जुड़े ज्यादातर मामलों की सुनवाई अजमेर की टाडा कोर्ट में होती है। वहीं दक्षिण भारत से जुड़े मामलों में मुंबई में सुनवाई होती है।

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