2 साल की सजा और 11 हज़ार के जुर्माने के बाद अब्बास अंसारी की राजनीति पर कोर्ट का ताला !

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। मऊ सदर से सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी की विधायकी समाप्त कर दी गई है। यह निर्णय हेट स्पीच मामले में दोषसिद्धि और दो साल की सजा के बाद लिया गया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उनकी सदस्यता को रद्द करते हुए सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। अब इस सीट पर उपचुनाव की प्रक्रिया की तैयारी शुरू हो चुकी है।

रविवार को सचिवालय खोलकर विधायकी समाप्त करने की कार्रवाई

विधानसभा सचिवालय ने रविवार के अवकाश के दिन विशेष रूप से कार्यालय खोला और अब्बास अंसारी की सदस्यता समाप्त करने की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद चुनाव आयोग को इस संबंध में औपचारिक जानकारी भेजी गई। यह फैसला राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इससे अब्बास अंसारी का राजनीतिक भविष्य अधर में आ गया है।

अदालत ने सुनाई दो साल की सजा, जुर्माना भी लगाया गया

सीजेएम डॉ. केपी सिंह की अदालत ने शनिवार को हेट स्पीच और आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में अब्बास अंसारी को दो साल की सजा सुनाई। इसके अतिरिक्त अलग-अलग धाराओं के तहत कुल ₹11,000 का जुर्माना भी लगाया गया। सजा का यह निर्णय भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दिया गया है।

जनसभा में प्रशासन को दी थी धमकी, FIR के आधार पर कार्रवाई

मामला मऊ के शहर कोतवाली क्षेत्र का है, जहां 3 मार्च 2022 को विधानसभा चुनाव के दौरान पहाड़पुर मैदान में आयोजित एक जनसभा में अब्बास अंसारी ने प्रशासन को खुलेआम धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि “चुनाव खत्म होते ही हिसाब-किताब किया जाएगा और सबक सिखाया जाएगा।” इस बयान को नफरती भाषण और कानून व्यवस्था के लिए खतरा मानते हुए एफआईआर दर्ज की गई थी।

सह-अभियुक्त मंसूर अंसारी को भी मिली सजा

इस मामले में अब्बास अंसारी के साथ उनके सहयोगी मंसूर अंसारी को भी दोषी ठहराया गया है। उन्हें धारा 120बी (षड्यंत्र) के तहत छह महीने की सजा और ₹1,000 का अर्थदंड लगाया गया है। अदालत ने यह सजा सबूतों और गवाहों के आधार पर सुनाई।

अब उपचुनाव पर टिकी निगाहें, राजनीतिक हलकों में सरगर्मी

अब जब मऊ सदर सीट रिक्त हो गई है, तो निर्वाचन आयोग द्वारा उपचुनाव की घोषणा कभी भी की जा सकती है। इस सीट को लेकर अब राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। सुभासपा, सपा, भाजपा और बसपा सभी दलों की नजर इस सीट पर होगी, जिससे चुनावी समीकरणों में बड़ा फेरबदल हो सकता है।

लोकतंत्र में जवाबदेही की मिसाल

अब्बास अंसारी की विधायकी समाप्त होना यह दर्शाता है कि लोकतंत्र में कानून सर्वोपरि है और कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। यह फैसला न केवल चुनावी शुचिता को स्थापित करता है, बल्कि भावी जनप्रतिनिधियों के लिए एक चेतावनी भी है।

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