यशपाल आर्य की जगह कैबिनेट में आ सकता है नया चेहरा, इन विधायकों के नामों पर हो रहा विचार

पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल में रिक्त हुए पद पर किसी दूसरे दलित चेहरे को ही मौका दिया जा सकता है। इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। पार्टी के कुछ दलित विधायकों ने तो दावेदारी भी पेश कर दी है। सीएम अगर यह सीट भरते हैं तो पूर्व कैबिनेट मंत्री खजान दास के साथ विधायक चंदनराम दास और सुरेश राठौर की दावेदारी सबसे प्रबल बताई जा रही है।

धामी मंत्रिमंडल में यह सीट पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के भाजपा छोड़ने के चलते खाली हुई है। हालांकि फिलहाल उनके सभी विभाग, मुख्यमंत्री ने अपने पास रख लिए हैं। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए अब लगभग ढाई माह शेष हैं। राज्य में जनवरी, 2022 में चुनाव आचार संहिता लागू होने की पूरी उम्मीद है।

ऐसे में सरकार यह खाली सीट भरेगी या नहीं, इसे लेकर अभी सस्पेंस बना हुआ है, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता मंत्रिमंडल में रिक्त पद को भरने के पक्ष में हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा आरक्षित कोटे से मंत्री बनाने के पक्ष में है, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में दलित वर्ग को इसे भुनाया जा सके। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री धामी इस पद को भरने से पहले हाईकमान से चर्चा करेंगे।

उसके बाद ही कोई फैसला करेंगे। खाली मंत्री पद के लिए फिलहाल सबसे प्रबल दावेदारों में राजपुर रोड विधायक खजान दास, ज्वालापुर के सुरेश राठौर व बागेश्वर के चंदनराम दास के नाम की चर्चाएं हैं। उधर, सूत्रों ने बताया कि मंगलवार शाम को कुछ दलित विधायकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की।

काऊ को लेकर भी चर्चा
रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ के समर्थकों में भी उत्साह है। वे रिक्त मंत्री पद पर काऊ की दावेदारी पुख्ता मानकर चल रहे हैं। दरअसल, यशपाल के साथ काऊ के भी कांग्रेस में जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं,पर जब आर्य कांग्रेस में शामिल हुए, उस वक्त काऊ भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के साथ नजर आए। माना जा रहा है कि हाईकमान से उन्हें कोई बड़ा भरोसा दिया है। इस बीच, काऊ समर्थक यह मानकर चल रहे हैं कि यशपाल को कांग्रेस छोड़ने के एवज में मंत्री पद दिया गया था। ऐसे में इस रिक्त पद पर काऊ की दावेदारी बनती है।

जीती थीं 10 आरक्षित सीटें
उत्तराखंड में पहले कांग्रेस को दलित वर्ग का बड़ा समर्थन मिलता रहा, पर 2017 के विधानसभा चुनाव में इस वर्ग का रुझान भाजपा के प्रति तेजी से बढ़ा है। यह इससे भी साबित होता है कि दलित कोटे के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों में से 10 पर भाजपा के प्रत्याशी निर्वाचित हुए थे। कांग्रेस को सिर्फ पुरोला से राजकुमार और भगवानपुर से ममता राकेश के रूप में दो सीटें मिलीं। राजकुमार अब भाजपा में आ चुके हैं। वहीं, भाजपा के टिकट से आरक्षित सीटों पर बाजपुर से यशपाल आर्य और नैनीताल से उनका बेटा संजीव आर्य जीते थे, जो तीन दिन पहले ही वापस कांग्रेस में लौट चुके हैं।

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