विधायक जी भेजे गए जेल, 24 साल पुराने मामले में कोर्ट का चौंकाने वाला फैसला.. जा सकती है विधायिकी

बिहार के अरवल से भाकपा-माले (CPI-ML) के विधायक महानंद सिंह को जहानाबाद की एसडीजेएम अदालत ने 24 साल पुराने एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। यह मामला 2000 में भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता दीपांकर भट्टाचार्य के काफिले पर हुए हमले से जुड़ा है, जिसमें महानंद सिंह का नाम भी शामिल था।

कोर्ट में पेशी के बाद भेजे गए जेल

सोमवार को विधायक महानंद सिंह को जहानाबाद के एसडीजेएम मनीष कुमार की अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया गया। इसके बाद उन्हें मंडल कारा काको जेल भेज दिया गया। इस फैसले के बाद अदालत परिसर और राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई।

केस की पृष्ठभूमि: क्या है पूरा मामला?

यह मामला वर्ष 2000 में जहानाबाद जिले के घोसी थाना क्षेत्र में भाकपा-माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य के काफिले पर हुए हमले से जुड़ा है। उस समय दीपांकर भट्टाचार्य पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक राजनीतिक यात्रा पर थे, जिस दौरान उन पर हमला किया गया था। इस हमले में शामिल लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, जिसमें वर्तमान विधायक महानंद सिंह भी आरोपी बनाए गए थे।

सीबीआई जांच के बाद तेज हुई प्रक्रिया

इस केस की गंभीरता को देखते हुए इसे बाद में सीबीआई को सौंपा गया था। वर्षों तक जांच और कानूनी प्रक्रिया में मामला लंबित रहा। हाल ही में अदालत ने जब मामले में सुनवाई तेज की, तो सीबीआई की चार्जशीट और केस डायरी के आधार पर विधायक की गिरफ्तारी की कार्रवाई हुई।

विधायक की विधायकी पर मंडराया संकट

विधायक को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद अब उनकी विधायकी पर संकट गहराने लगा है। यदि उन्हें इस केस में दोषी करार दिया जाता है, तो वह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अयोग्य घोषित हो सकते हैं। इससे उनकी सीट पर उपचुनाव की नौबत भी आ सकती है।

विपक्ष ने उठाए सवाल, भाकपा-माले की प्रतिक्रिया

इस पूरे घटनाक्रम के बाद विपक्षी दलों ने विधायक की गिरफ्तारी को लेकर भाकपा-माले पर हमला बोला है। वहीं पार्टी ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है और दावा किया है कि महानंद सिंह को झूठे केस में फंसाया जा रहा है। पार्टी के नेताओं ने जल्द न्याय की उम्मीद जताई है।

क्या होगी आगे की कानूनी प्रक्रिया?

अब इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान अदालत यह तय करेगी कि विधायक को न्यायिक हिरासत में आगे रखा जाएगा या उन्हें जमानत दी जाएगी। वहीं सीबीआई की जांच और गवाही इस केस में अहम भूमिका निभाएगी। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह केस राजनीतिक दृष्टिकोण से भी काफी संवेदनशील है।

 

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