बड़ी खबर: तेजस्वी यादव ने कहा – “वोटर लिस्ट में मेरा नाम नहीं”, EC ने जारी कर दी लिस्ट, कहा – “Serial no 416 देखें”

बिहार में आगामी चुनावों से पहले सियासी सरगर्मी तेज़ हो गई है। राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा था कि उनका नाम नई वोटर लिस्ट से गायब है। इस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने SIR (State Electoral Roll Integration) प्रणाली को भी कठघरे में खड़ा किया। लेकिन अब चुनाव आयोग ने बिना देरी किए पूरी वोटर लिस्ट सार्वजनिक कर दी है, जिसमें तेजस्वी यादव का नाम Serial Number 416 पर साफ तौर पर मौजूद है।
तेजस्वी यादव का आरोप: “नाम नहीं है, तो चुनाव कैसे लड़ूंगा?”
तेजस्वी यादव ने एक प्रेस बयान में दावा किया कि नई वोटर लिस्ट में उनका नाम नहीं है, और यदि ऐसा है तो वो चुनाव कैसे लड़ पाएंगे?
उन्होंने चुनाव आयोग की प्रक्रिया और SIR प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा था:
“मेरे जैसे पूर्व डिप्टी सीएम का नाम ही अगर वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है, तो आम जनता का क्या होगा?”
उनका यह बयान वायरल हो गया और विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल गया।
चुनाव आयोग का जवाब: “नाम सूची में है, Serial No. 416 पर”
तेजस्वी के बयान के कुछ ही घंटों के भीतर राज्य निर्वाचन आयोग ने अपडेटेड वोटर लिस्ट जारी कर दी। इस सूची में Serial Number 416 पर तेजस्वी यादव का नाम दर्ज है, जो कि उनके दावे के ठीक उलट है।
इस कदम को आयोग की पारदर्शिता और तत्परता का उदाहरण माना जा रहा है, और इससे यह भी साफ हो गया कि तेजस्वी द्वारा की गई टिप्पणी जल्दबाज़ी में दी गई थी या उन्हें गलत जानकारी दी गई थी।
राजनीतिक मोड़: ड्रामा या रणनीति?
इस पूरे घटनाक्रम ने बिहार की सियासत में एक नया मोड़ ला दिया है। विपक्ष इसे सत्ता पक्ष की साजिश बता रहा था, वहीं आयोग के इस त्वरित जवाब ने विपक्ष की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है।
राजनीतिक जानकार इसे एक “प्रभावी लेकिन अधूरा आरोप” बता रहे हैं, जिससे तेजस्वी को तत्काल प्रतिक्रिया तो मिली, लेकिन तथ्यों के सामने मामला कमजोर पड़ गया।
SIR प्रणाली पर अब भी कायम हैं सवाल
हालांकि तेजस्वी का नाम वोटर लिस्ट में पाया गया, लेकिन उन्होंने अपने बयान में जो चिंता SIR प्रणाली को लेकर जताई थी, वह अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
तेजस्वी का तर्क है कि अगर ऐसे गड़बड़ी के संकेत उन्हें मिले हैं, तो आम नागरिकों के नाम भी हटाए जा सकते हैं, और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
तेजस्वी के आरोप से शुरू हुआ विवाद अब आयोग की पारदर्शिता पर खत्म?
तेजस्वी यादव द्वारा उठाया गया मुद्दा भले ही उनके व्यक्तिगत नाम से जुड़ा था, लेकिन इससे चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और भरोसे पर चर्चा जरूर तेज हो गई है।
हालांकि चुनाव आयोग की त्वरित कार्रवाई ने उनके दावे को नकार दिया, लेकिन यह विवाद दिखाता है कि चुनाव से पहले हर एक कड़ी पर जनता और राजनीतिक दलों की नजर टिकी रहेगी।