Panchayat Elections: अपना ही गढ़ नहीं बचा पाए BJP मंत्री, कांग्रेस प्रत्याशी ने उम्मीदों पर फेरा पानी

उत्तराखंड में हुए त्रिस्तरीय पंचायत उपचुनावों के नतीजे सामने आ चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने कुल मिलाकर इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन पार्टी के लिए एक बड़ा झटका टिहरी जिले से आया है। जहां कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के प्रभाव वाले इलाके में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है।

टिहरी के बौंखाल ब्लॉक में मंत्री का गढ़ हिला

टिहरी जिले के बौंखाल ब्लॉक, जो कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का गढ़ माना जाता है, वहां की गाजणा-छीनीसैंण ग्राम पंचायत की प्रधान सीट पर भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। यह हार इसलिए भी अहम है क्योंकि इस क्षेत्र में भाजपा की पकड़ मानी जाती है और मंत्री स्वयं यहां की राजनीति में प्रभावशाली माने जाते हैं।

कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी की जीत, बदला समीकरण

इस सीट पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी मीरा देवी ने जीत दर्ज की, जिससे न केवल भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिरा बल्कि मंत्री के प्रभाव पर भी सवाल खड़े हो गए। यह परिणाम स्थानीय स्तर पर सत्ता विरोधी लहर और जनता में असंतोष को भी दर्शाता है।

राज्यव्यापी परिणाम: बीजेपी आगे, लेकिन कुछ स्थानों पर झटका

राज्यभर की बात करें तो त्रिस्तरीय पंचायत उपचुनावों में भाजपा ने अधिकतर सीटों पर जीत दर्ज की है। हालांकि, कुछ प्रमुख स्थानों पर हार से यह साफ हो गया कि पार्टी के सामने जमीनी स्तर पर चुनौती बनी हुई है। इन परिणामों ने आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी को आत्ममंथन करने पर मजबूर कर दिया है।

क्या यह परिणाम राज्य सरकार के लिए संकेत है?

टिहरी जैसी सीटों पर हार यह संकेत देती है कि जमीनी कार्यकर्ता और स्थानीय मुद्दों को अनदेखा करना महंगा पड़ सकता है। इसके साथ ही मंत्री स्तर पर जवाबदेही की भी मांग उठ सकती है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने क्षेत्रों में जनसमर्थन क्यों नहीं बनाए रख पा रहे हैं।

जीत के बीच एक हार ने छोड़ा बड़ा सवाल

उत्तराखंड में भाजपा भले ही पंचायत चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन सुबोध उनियाल के गढ़ में हार ने पार्टी के लिए एक चेतावनी का काम किया है। यह हार सत्ता पक्ष के लिए गंभीर आत्ममंथन का विषय है और आगामी चुनावों में इसका असर देखा जा सकता है।

 

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