उत्तराखंड में बड़ी दुर्घटना: पहाड़ी रास्ते पर पलटी सेना की बस, 31 जवान थे सवार.. जानिए कैसे हुआ हादसा ?

उत्तराखंड के चमोली जिले में एक बड़ा हादसा हुआ है। गोपेश्वर के पास एक सेना की बस अनियंत्रित होकर पलट गई, जिसमें 31 जवान घायल हो गए। घटना के बाद से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है और राहत एवं बचाव कार्य तेजी से जारी है। ये हादसा न केवल उत्तराखंड की खतरनाक सड़कों की पोल खोलता है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी चिंता का विषय है।

कहां और कैसे हुआ हादसा?

यह दुर्घटना बुधवार सुबह गोपेश्वर के पास सोनला के निकट हुई। सेना की यह बस जोशीमठ से रायवाला कैंट की ओर जा रही थी, तभी अचानक सड़क पर अनियंत्रित होकर पलट गई। बस में कुल 31 जवान सवार थे, जो ड्यूटी पर जा रहे थे। दुर्घटना के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई और स्थानीय लोगों ने तत्काल मदद शुरू की।

घायलों की स्थिति और रेस्क्यू ऑपरेशन

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और एंबुलेंस की टीम मौके पर पहुंची। 108 सेवा और निजी वाहनों की मदद से सभी घायल जवानों को तत्काल कर्णप्रयाग के अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें से 9 जवानों की हालत गंभीर बताई जा रही है। प्राथमिक उपचार के बाद कुछ जवानों को देहरादून रेफर किए जाने की संभावना जताई जा रही है।

अस्पताल पहुंचे जिलाधिकारी, लिया जायजा

जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी स्वयं अस्पताल पहुंचे और सभी घायलों की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने चिकित्सकों को निर्देश दिए कि इलाज में किसी भी प्रकार की कोताही न बरती जाए। साथ ही, उन्होंने हादसे की जांच के आदेश भी दिए हैं। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि प्राथमिकता घायलों के समुचित इलाज और पुनर्वास पर है।

क्या सड़कें हैं हादसों की जड़?

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की सड़कों की हालत लंबे समय से सवालों के घेरे में है। तेज़ मोड़, संकरी सड़कें और उचित बैरिकेडिंग का अभाव अक्सर ऐसे हादसों की वजह बनते हैं। हाल के वर्षों में उत्तराखंड में सेना और पर्यटक वाहनों के साथ कई सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि सरकार और लोक निर्माण विभाग सड़क सुरक्षा को लेकर कितने सजग हैं?

सेना की प्रतिक्रिया और अगली कार्रवाई

सेना की ओर से भी घटना को लेकर चिंता जताई गई है। घायल जवानों की पहचान और परिवारों को सूचना देने का कार्य शुरू कर दिया गया है। सेना और स्थानीय प्रशासन मिलकर इस पूरे घटनाक्रम की जांच कर रहे हैं कि बस अनियंत्रित कैसे हुई – क्या तकनीकी खराबी थी या सड़क की स्थिति जिम्मेदार थी। यदि लापरवाही पाई जाती है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।

क्या सुधरेंगी पहाड़ों की सड़कें?

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लगातार बढ़ रहे हादसे इस बात की चेतावनी हैं कि सड़क सुरक्षा को लेकर अब ठोस कदम उठाने का समय आ गया है। जवानों की सुरक्षा सर्वोपरि है और ऐसे हादसे न केवल उनकी जान जोखिम में डालते हैं, बल्कि पूरी व्यवस्था पर सवाल भी खड़े करते हैं। सरकार को चाहिए कि सड़कों की गुणवत्ता, सुरक्षा मापदंडों और वाहनों की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे दर्दनाक हादसे रोके जा सकें।

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